ईश्वर द्वारा मनुष्य को दिए गए उपहार में बुद्धि का विशेष महत्व है|
ईश्वर ने मनुष्य को अनगिनत उपहार से नवाजा है जिसमें बुद्धि का विशेष महत्व है lजानने की इच्छा शक्ति बुद्धि का प्रधान लक्षण है यदि मनुष्य के अंदर बुद्धि है तथा सही तरह से कार्य कर रही है तब मनुष्य को ज्ञान प्राप्त किए बिना कोई नहीं रोक सकता lनई-नई जानकारियां जुटाना बुद्धि का प्रथम मूल कार्य है तथा प्राप्त की गई जानकारी का विश्लेषण करना भी बुद्धि का ही कार्य है lकसौटी पर सही तरह से प्रमाण इकट्ठा करना अथवा तथ्यों को सिद्ध करना भी बुद्धि का प्रधान कार्यों में से एक है| बुद्धि मनुष्य के अंदर एक ऐसी शक्ति है जो मनुष्य को माया के चक्कर में उलझा भी देती है तथा यह भी सत्य है की बुद्धि ही ब्रह्म की ओर जाने का प्रथम सोपान है l सही जीवन है तो बुद्धि है बुद्धि है तो जिज्ञासा है तथा जिज्ञासा है तो ज्ञान है तथा ज्ञान ही जीवन की सबसे बड़ी पूंजी हैl ज्ञान से मनुष्य को पूर्ण शक्ति का अनुभव होता है बुद्धि से ही वैराग्य उत्पन्न होता है तथा बुद्धि ही है जो माया के प्रभाव को नष्ट कर ब्रह्म तक पहुंचने में साथ देती है जो व्यक्ति इस जीवन रूपी संसार में रहते हैं उन्हें सदैव ज्ञान प्राप्त करने की का प्रयास करते रहना चाहिए, जिससे बुद्धि को मजबूत और तीव्र किया जा सकेl जिस प्रकार यदि मनुष्य विश्व को जितना चाहता है तो सबसे पहले उसे व्यक्ति को अपने आप को जितना होगाl जिस क्षेत्र में मनुष्य को जाना है इस क्षेत्र से संबंधित ज्ञान की आवश्यकता होती है मनुष्य को क्षेत्र से संबंधित ज्ञान को अर्जित करके अपनी बुद्धि को उसे योग को बनाना होता है चाहे मनुष्य किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ाना बढ़ाना चाहता हो| अगर हम यहां पर अध्यात्म की बात करें तो मनुष्य को एक तरफ ध्यान देकर अपनी स्मरण शक्ति को बढ़ाना होगा एकाग्रता को बढ़ाना होगा साथ-साथ ही अपनी बुद्धि को और अधिक मजबूत करने के लिए आध्यात्मिक किताबों का भी सहारा लेना होगा यदि मनुष्य को आध्यात्मिक की तरफ जाना है या अपनी बुद्धि को शांत रखना है तो उसे व्यक्ति को अध्यात्म द्वारा बताए हुए रास्ते पर चलना होगा lसत्संग सुनने होंगे क्योंकि संतों ने भी कहा है कि बिना सत्संग के बुद्धि का अच्छा विकास नहीं होता यह बात तो सही है कि सत्य है कि सत्संग राम की कृपा के बिना नहीं मिलता वहीं गुरु कृपा भी होना अनिवार्य है क्योंकि स्वयं के द्वारा अर्जित किया हुआ ज्ञान कम होता है क्योंकि शास्त्रों में भी कहा है कि गुरु के बिना ज्ञान नहीं होता अगर हमें अच्छा ज्ञान प्राप्त करना है तो हमारे ऊपर गुरु कृपा होना आवश्यक है हमारा गुरु भी होना आवश्यक होता है l ताकि वह मनुष्य ज्ञान प्राप्त करके जागृत हो तथा सच का सामना कर सकेl शास्त्रों के अनुसार ,कहा जाता है कि सृष्टि शरीर के बाहर भी है और अंदर भी है lबाहर की ओर सृष्टि को कोई अंत नहीं होता वही अंदर की ओर सृष्टि का एक केंद्र होता है lदूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि बाहर शून्य है तथा भीतर की तरफ बिंदु है lशून्य तथा बिंदु दोनों ही विराट रूप हैl दोनों ही अपरिमेय है जिनकी कोई कल्पना करना भी मुश्किल की बात है lदोनों एक ही सिक्के के पहलू हैं l परमाणु में भी उतनी ही शक्ति ऊर्जा छपी है जितनी विराट अनंत में शून्य तथा बिंदु दोनों का अस्तित्व है|लेकिन इसे मापl नहीं जा सकता वह अपरिमेय है, असीम हैl अतः मनुष्य की परम चेतना का मुख्य स्रोत बुद्धि ही है तथा यह असीम है इसके द्वारा मनुष्य संसार की सभी असीम शक्तियों को प्राप्त कर सकता है बुद्धि का सही प्रयोग करते हुए मनुष्य शून्य से बिंदु तक की यात्रा आसानी से कर सकता है यही जीवन का सार है और सच है|
