“एंथ्रोपोमेट्रिक”

"एंथ्रोपोमेट्रिक"

एंथ्रोपोमेट्रिक
भूमिका_मानव रूपी शरीर को मापने के लिए वैज्ञानिक शब्दावली एंथ्रोपोमेट्रिक का प्रयोग किया जाता है। सर्वप्रथम फ्रांस गणितज्ञ आल दो क्यूटलेट ने एंथ्रोपोमेट्रिक के बारे में बताया। एंथ्रोपोमेट्रिक दो शब्दों से मिलकर बना है एंथ्रोप तथा मेटरीक , एंथ्रोप से तात्पर्य ‘मानव’ से हैं तथा मैट्रिक से तात्पर्य ‘मापन’ से है। एंथ्रोपोमेट्रिक विज्ञान की वह शाखा होती है, जिसमें मानव के शरीर तथा उसके अंगों का मानक तकनीकों से मापन कर अध्ययन किया जाता है। अतःहमारी आज की चर्चा इसी परिप्रेक्ष्य में होने वाली है-

  • मानव शरीर के 100 से ज्यादा मापन है ।इन मानव शरीर के मापनो ने कई क्षेत्रों के वैज्ञानिकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रखा है यह वैज्ञानिक क्षेत्र है-शरीर रचना विज्ञान, मानव जीव विज्ञान, शरीर क्रिया विज्ञान ,शारीरिक शिक्षा एवं खेल विज्ञान , इर्गोनॉमिस्ट, डिजाइनर, कलाकार, खेल प्रशिक्षक, आदि।
  • एंथ्रोपोमैट्रिक प्रकार के मापन का प्रयोग मिश्र के लोग करते थे। वास्तव में इस प्रकार के मानक के माध्यम से शरीर के अंगों के मापन का प्रयास किया जाता था। इसी के साथ-साथ शरीर के संपूर्ण अंगों का अलग-अलग मापन किया जाता था ।
    ऐसा माना जाता था कि यूनान के निवासी शरीर के अंगों की औसत माप निकालने में प्रथम स्थान पर थे। हिपोक्रेटस का सबसे अधिक योगदान था।
    हिप्पोक्रेट्स ने तो विभिन्न आधारों पर वर्गीकरण करने के बाद सर्वप्रथम एंथ्रोपोमेट्रिक मापन के विधि को एक प्रस्तावना के रूप में प्रस्तुत किया था ।
    यूनान के खिलाड़ियों का प्राचीन ओलंपिक खेलों में विजेता बनने का एकमात्र कारण यह माना जाता है कि उसके शारीरिक अंगों की लंबाई अन्य देशों के व्यक्तियों से अधिक होती थी ।
    उस समय ऐसा माना जाता था कि रोमन निवासी भी इसी समय में आते थे। एंथ्रोपोमेट्रिक मापन के आधार पर कुछ प्राचीन कलाकारों ने विभिन्न प्रकार के चित्रों का निर्माण भी किया था क्योंकि स्पष्ट प्रमाण डॉक्टर विनकी माइकेल एंजेलो और ज्योशा रीमन ओल्ड रिमन के पुराने चित्रों के माध्यम से प्राप्त होता है।
    19वीं शताब्दी के पूर्व फ्रांसीसी निवासी रोस्टेन ने तीन शारीरिक प्रकार का उल्लेख किया था। जिनका नाम क्रमशः डिगीस्टीफ , म्युसक्लेटर एवं किरीब्रल था
    जो कि शेल्डन के शारीरिक प्रकारों सोमेटो टाइप से काफी मिलते-जुलते प्रतीत होते हैं।

एंथ्रोपोमेटरीक अंतर:-
अब बात आती है एंटरोपैथोमेट्रिक अंतर की, एंथ्रोपोमेट्रिक अंतर से तात्पर्य शरीर के अंगों के परिमाण( साइज) में अंतर से है, इसका पता मानव शरीर के अंगों के मापन से चलता है।एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के मध्य एंथ्रोपोमेट्रिक अंतर जानने के लिए कई प्रक्रियाओं से गुजर जाता है।

यहां हम कुछ एंथ्रोपोमेट्रिक अंतर से संबंधित बिंदुओं की चर्चा करने वाले हैं जो निम्नलिखित प्रकार से है_
शारीरिक भार बॉडी वेट:-शरीर के भार को मापने के लिए भार मापने वाली मशीन यानी वेइंग मशीन का प्रयोग किया जाता है।
पूर्ण शरीर की खड़ी ऊंचाई :- इसके लिए स्टेडियोमीटर या एंथ्रोपोमेट्रिक रोड का प्रयोग किया जाता है।

बैठे हुए शरीर की ऊंचाई:-इसके लिए एंथ्रोपोमेट्रिक रोड और टेबल का प्रयोग किया जाता है। टेबल ऐसा होना चाहिए जिस पर पैर लटक सके।
दोनों कंधों के बीच का व्यास (बाइएक्रोमियल डायमीटर) , कूल्हे की अस्थि का व्यास(बाई- क्रिस्टल डायमीटर),
कूल्हे की चौड़ाई (बाईटोकेंट्रिक डायमीटर) इन सबके मापन के लिए एंथ्रोपोमेट्रिक कंपास का प्रयोग किया जाता हैके)
कोहनी की चौड़ाई ( ह्यूमरस बाई- कोण्डीलर डायमीटर), कलाई का व्यास (रिस्ट डायमीटर), घुटने की चौड़ाई (फिमर बाईकॉन्ड्रिया डायमीटर)व टखने का व्यास (एंकल डायमीटर) इन सब के मापन के लिए स्लाइडिंग कैलीपर नामक उपकरण का प्रयोग किया जाता है।

चेस्ट सरकम्फ्रेंस, ऊपर के बाजू की परिधि (अपर आर्म सरकम्फ्रेंस), अग्र बांह की परिधि (फोर आर्म सरकम्फ्रेंस ),जांघ की परिधि (थाई सरकम्फ्रेंस ),काफ सरकम्फ्रेंस इन सब का मापन करने के लिए एंथ्रोपोमेट्रिक स्टील टेप, स्क्रीन मार्किंग पेंसिल या गुलिक टेप का प्रयोग किया जाता है।

वसा रहित शरीर के द्रव्यमान(फैट फ्री बॉडी मास) को मापने के लिए स्कीन फोल्ड कैलीपर का प्रयोग किया जाता है।

संक्षेप में_
हम कह सकते हैं कि एंथ्रोपोमेट्रिक से तात्पर्य मानव शरीर के अंगों की माप से संबंधित विज्ञान से है।एंथ्रोपोमेट्रिक अंतर से तात्पर्य मानव शरीर के विभिन्न अंगों की माप में अंतर से है लेकिन यहां यह बात आती है जिसमें यह अंतर या तुलना की जा रही है । वह एंथ्रोपोमेट्रिक अंतर की तुलना लिंग के मध्य (पुरुष व महिला )विभिन्न आयु स्तर के मध्य ,विभिन्न खेलों के खिलाड़ियों के मध्य, विभिन्न देशों- प्रदेशों के नागरिकों के मध्य ,विभिन्न जातियों के लोगों के मध्य आदि।और इसी एंथ्रोपोमेट्रिक मापन के द्वारा मनुष्य से संबंधित शोध कार्यों को संपन्न किया जाता है। इसमें मनुष्य के शरीर के विभिन्न अंगों का माप लेते हैं एवं इसी के माध्यम से मनुष्य का मूल्यांकन करने का प्रयास करते हैं।