छोटे-छोटे शिक्षण संस्थानों की बच्चों के भविष्य में अहम भूमिका|

छोटे-छोटे शिक्षण संस्थानों की बच्चों के भविष्य में अहम भूमिका|

छोटे-छोटे शिक्षण संस्थानों की बच्चों के भविष्य में अहम भूमिका|
बेरोजगारी के इस युग में बच्चों के भविष्य के लिए छोटे-छोटे शिक्षण संस्थानों की अहम भूमिका रही हैl इन शिक्षण संस्थानों में शिक्षा ग्रहण कर बच्चा स्वरोजगार योग्य हो जाता हैl तथा कहीं भी नौकरी कर या स्वरोजगार कर अपनी जीविका चलाने के योग्य हो जाता है| बेरोजगारी की मार तो पहले से ही देश में बहुत थी| बच्चे बड़ी-बड़ी डिग्रियां पढ़ाई आदि कर नौकरी की तलाश में भटकते रहते थेl ना जाने कितने बच्चे सरकारी नौकरी की तलाश में इधर-उधर भटकते रहते थे lलेकिन नौकरियां कम होने की वजह से वह नौकरी पाने में असमर्थ हो जाते थे lना जाने कितने बच्चे बच्चों ने नौकरी न मिलने की वजह से मायूस होकर अपनी जान को भी दाव पर लगा दिया lयहां तक की कितने बच्चों को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ा| नौकरियां खत्म होती जा रही हैंl रोजगार भी आधुनिक विज्ञान ने खत्म से ही कर दिए हैंl कुछ वर्षों पहले कोरोना नामक बीमारी ने तो लोगों की कमर ही तोड़ कर रखदीl कितने लोगों को नौकरियां से हाथ धोना पड़ा तथा बेरोजगार हो गएl भाग दौड़ भरी जिंदगी में लोगों को काफी मुसीबत का सामना करना पड़ा lलोगों को अपने व्यापार तथा नौकरी के तरीकों को भी बदलना पड़ा| वहीं लोगों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा lपैसे अधिक न होने की वजह से लोगों के सामने कोई अधिक विकल्प नहीं बचे थे lलोगों ने अपने बच्चों को पढ़ने के लिए छोटे-छोटे शिक्षण संस्थाओं का सहारा लिया lजिसमें बच्चों को पढ़ाई कर बच्चों को रोजगार योग बनायाl आज लाखों बच्चे सिलाई कढ़ाई, कंप्यूटर, ब्यूटीशियन, मोबाइल, AC, फ्रिज रिपेयर आदि के कोर्स कर बच्चे स्वरोजगार योग हुए हैं lवही बच्चों को स्वरोजगार योग बनने में ऐसे कोर्स करने वाले शिक्षण संस्थानों की अहम भूमिका रही है| जिन्होंने कम पैसे लेकर मध्य व गरीब वर्ग के बच्चों को|अच्छी शिक्षा दिलiकर बच्चों को स्वरोजगार योग बनाया है|