जीवन में विकास के लिए अध्यात्म का महत्व समझना जरूरी है|
मनुष्य की स्वयं की खोज ही अध्यात्म है अर्थात जब मनुष्य अपने आप की खोज करना शुरू करता है तब से अध्यात्म की शुरुआत होती हैl मनुष्य जीवन में कुछ भी कर ले लेकिन आध्यात्म के बिना उसकी जीवन यात्रा अधूरी है क्योंकि आध्यात्म के अनुसार पुनर्जन्म की चर्चा तो आपने सुनी ही होगी कि मनुष्य अपने पुनर्जन्म के फल भी आधुनिक जीवन में भोक्ता है यदि आप विचार करके देखेंगे कि मनुष्य जब जन्म लेता है तो वह पुनर्जन्म के कारण ही धरती पर आता है जैसे अपने जीवन में देखा होगा और सुना भी होगा कि राजा के घर में राजा ही पैदा होता है आमिर के घर में आमिर लेकिन अपने कर्म फल के कारण ही वह व्यक्ति जन्म फल भोगता रहता हैl अनुभव के तौर पर यह बात आपको एहसास करना चाहता हूं कि जब भी आपको फुर्सत मिले तो विचार करना कि पुनर्जन्म कर्मों की वजह से मनुष्य अच्छे परिवार में जन्म लेता है उसे के पास जीवन की सब ज्यादातर सुख सुविधा होती हैं लेकिन वह वर्तमान कर्मों की वजह से मनुष्य से अपने जीवन से छिन जाती है|सोचो बहुत से ऐसे सज्जन होंगे जो सभी सुख सुविधाओं के साथ जीवन में आए लेकिन उनके व्यवहार या किसी कर्म फल की वजह से उसे सजन की धीरे-धीरे सारी सुख सुविधा छीन गई और आधे ही जीवन में वह ऐसा होता चला गया क्योंकि कर्म फल जरुर मनुष्य के सामने आता हैl कर्म फल की ओर अधिक चर्चा हम अपने अगले अध्याय में करेंगे लेकिन आज आध्यात्म के बारे में जानना बहुत जरूरी है lइसके महत्व को जानना भी बहुत जरूरी है lसबसे पहले आध्यात्मिक क्या है? यह जानना बहुत जरूरी है जैसे हमने पहले बताया कि जब मनुष्य अपने आप की खोज शुरू करता है तो आध्यात्म की शुरुआत होती है वास्तव में परम ज्ञान आध्यात्मिक ज्ञान ही हैl कुछ महान आत्माओं द्वारा अध्यात्म का मतलब| भौतिकता से परे जीवन का अनुभव कर पाना ही अध्यात्म है lकुछ लोग आध्यात्म को योग कहते हैं लेकिन योग एक आध्यात्मिक प्रणाली है लेकिन कुंडली जागरण योग का अति विशिष्ट पहलू हैl शरीर विज्ञान शरीर की रचना पर प्रकाश डालता है त्वचा ,मांसपेशियां, अस्थियां, सिराएं तांत्रिकाएं ,ऊतक कोशिकाएं तथा भिन्न संस्थाएं| इनकी कार्य प्रणाली हैl यदि यह सब शारीरिक संस्थाएं विज्ञान के अंतर्गत आती हैं| आध्यात्म के द्वारा मनुष्य भौतिक व शारीरिक संरचनाओं की जानकारी प्राप्त करता है वही शारीरिक ज्ञान की बात करें तो मनुष्य के अंदर ईश्वर द्वारा दी हुई परम शक्ति है lजिसे हम कुंडली शक्ति के नाम से जानते हैं यदि हम कुंडली शक्ति की चर्चा करते हैं तब पहले शरीर की सभी बातों को अच्छे से जानकारी प्राप्त करनी होगी जड़ को जान लेना के बाद ही तने व शाखों से होते हुए फूल, फल पत्तियां पर आया जाएगा| शरीर में हृदय और मस्तिष्क के अलावा मन भी होता है किंतु विज्ञान मन नाम की किसी सत्ता को नहीं मानता| बल्कि मन को मस्तिष्क का ही एक हिस्सा मात्र मान लिया जाता हैl जिसका संबंध विचारों से न होकर भावों से होता हैl जबकि ऐसा नहीं है सभी जानते हैं कि पशुओं में बुद्धि नहीं होती विचार नहीं होते किंतु भावनाएं होती हैंl और वह भावनाओं को समझते हैं तथा व्यक्त करते हैं वह प्रेम पूर्वक किए गए स्पर्श और स्नेहा का भाव महसूस करते हैं संगीत में शब्दों का अर्थ ने समझते हुए भी वह भाव समझने के कारण वशीभूत हो जाते हैं पशु तो पशु है पेड़ पौधे तक भावों को समझते हैं वह स्पर्श और संगीत के भाव को महसूस करते हैं तथा अपनी प्रतिक्रियाएं को भी व्यक्त करते हैं lफिर भला मन के अस्तित्व से इनकार कैसे किया जा सकता है| मन के अलावा आत्मा, प्राण चेतन आदि बहुत सी अन्य सत्ताएं भी हैं ,जो विज्ञान के अनुसार विवादित रही हैं lअर्थात मनुष्य को आध्यात्मिक ज्ञान की आवश्यकता है अगर मनुष्य के आध्यात्मिक ज्ञान को जानने के लिए अपने शरीर रूपी घर का अध्ययन करना परम आवश्यक है lआध्यात्मिक ज्ञान के द्वारा मनुष्य अपने जीवन रूपी गाड़ी को अच्छे से चला सकता है इसलिए आधुनिक मनुष्य को आध्यात्मिक की जानकारी परम आवश्यक है
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