थकान

थकान

थकान
भूमिका_ कठोर शारीरिक क्रिया अथवा कार्य करने के उपरांत जब हम आलस्य का अनुभव करते हैं तो आमतौर पर उसे थकान कहते हैं। थकान वाक्य का सामान्य वर्णन आलस्य के अनुभव अथवा पेशीय प्रदर्शन के घटना के द्वारा किया जाता है। वास्तविकता में प्रत्येक के द्वारा थकान का अनुभव किया जाता है। यह सक्षमतापूर्वक पेशियों के कार्य करने की असमर्थता एक अस्थाई अवस्था है। इसके परिणाम स्वरुप काम करने की क्षमता में गिरावट आकर बेचैनी का अनुभव होने लगता है।तो आज की हमारी चर्चा का केंद्र बिंदु थकान के संदर्भ में ही रहेगा-

थकान का अर्थ है मन व शरीर की सामर्थ्य का घट जाना अर्थात थकान वह अवस्था है जिसका संबंध कार्य क्षमता में होने वाली कमी से है।थकान की अवस्था में व्यक्ति की कार्य क्षमता सामान्य अवस्था की अपेक्षा कम हो जाती है। और मानसिक शक्तियों में भी कमी आ जाती है, थकान की अवस्था अस्थाई होती है। कठोर एवं क्षमता से अधिक शारीरिक और मानसिक कार्य करने के बाद यदि समुचित विश्राम कर लिया जाए तो थकान दूर हो जाती है।

स्टार्च के अनुसार “थकान रुचि और इच्छा कम होने की अवस्था है।”
मायर कहते हैं कि “किसी लाभप्रद व्यवसाय में क्रिया की लंबाई अथवा सघनता को थकान के रूप में बताया गया है।”

फ्रीमैन के शब्दों में “थकान एक ऐसी दशा है जिसमें शरीर के तंत्र प्रतिक्रिया नहीं करते और मन शिथिल पड़ जाता है।”

जिस प्रकार सामर्थ्य अनेक प्रकार की होती है उसी प्रकार थकान भी अनेक प्रकार होते हैं

यह सर्वविदित है कि थकान की स्थिति में शारीरिक व मानसिक शक्तियों में कमी आती है साथ ही कार्य की गुणवत्ता और उत्पादन की दर पर भी ऋणात्मक प्रभाव पड़ता है।

सामान्य रूप से थकान के चार प्रकार बताए जा सकते हैं। मानसिक थकान-मानसिक कार्य करने या मस्तिष्क पर जोर पड़ने से मन का सामर्थ्य कम हो जाती है।
शारीरिक थकान- कठोर पेशीय श्रम अथवा कठिन कार्य करने के पश्चात् के अनुभव को शारीरिक थकान कहते हैं।

स्नायु संबंधित थकान-
मनुष्य का अचेतन मन बड़ा क्रियाशील है पर उसके कार्य करने से भी शक्ति का व्यय होता है ,इसमें गिरावट सी महसूस होती है इसे ही स्नायु थकान कहते हैं।

ऊब या बोरियत – ऊब /बोरियत के कारण कार्य करने की इच्छा खत्म हो जाती है जो थकान का ही कारण है।

इस आधार पर थकान के कुछ क्षेत्र भी बताए गए हैं जैसे-
न्यूरोमस्कुलर जंक्चर,
पेशीय थकान। (पेशीय तंतुओं में)

केंद्रीय नाड़ी तंत्र में थकान।

अब बात आती है की थकान होने के कारण क्या-क्या हो सकते हैं जिसकी चर्चा भी हम लोगों को कर लेनी चाहिए जिसमें प्रमुख रूप से आता है-
एसीटायल कोलिन स्राव में कमी-न्यूरोमस्कुलर जंक्चर में थकान का कारण एसिटायल कोलिन रिलीज में कमी होना है।

ऊर्जा स्रोतों का अपक्षय-
जैसा कि हम जानते हैं कि एनर्जी करेंसी के रूप में एटीपी को जाना जाता है जो थकान की स्थिति में बहुत कम हो जाता है।

लैक्टिक एसिड का एकत्रित होना-
लैक्टिक एसिड का इकट्ठा होना थकान का कारण नहीं है किन्तु यह हाइड्रोजन आयन(H+) है जो की लैक्टिक एसिड के कारण इकट्ठा हो जाता है और थकान को पैदा कर देता है।

इश्चिमिया और हाइपोक्सिया- इशचिमिया का अर्थ पेशियों में रक्त की प्रदायकता में कमी
तथा हाइपोक्सिया का अर्थ है रक्त में ऑक्सीजन की प्रदायकता में कमी ।
शरीर के स्थानीय तापक्रम में वृद्धि-शरीर का तापक्रम बढ़ाना भी थकान का कारण है।
संक्षेप में –
लंबे समय तक कार्यजन्य श्रम के कारण बेचैनी अथवा क्षमता की घटने का परिणाम थकान होता है। थकान हमारे शरीर को तनाव झेलने के योग्य नहीं रख पाता। मतलब थकान निरंतर कार्य करने की अक्षमता है ,जो कि किसी एक अथवा कई कारकों के एक साथ मिल जाने से पैदा होती है।
अब थकान के उपचार की बात करें तो -थकान का सर्वोत्तम उपचार शारीरिक दक्षता तथा उत्तम स्वास्थ्य का होना है इसे समुचित विश्राम तथा गहरी निद्रा द्वारा उपचारित किया जा सकता है ।इसके अलावा इसके उपचार के लिए मनोरंजक गतिविधियों को भी अपनाया जा सकता है।