नेतृत्व

नेतृत्व

एक समूह, संस्थान व प्रबंधन के कार्यों को निर्देशित करने का प्रमुख दायित्व नेतृत्व का है। सांझे उद्देश्य के लिए काम करने वाले संगठित समूह के लिए किसी न किसी प्रकार का नेतृत्व का होना जरूरी है। “नेतृत्व की शक्ति ही एकता की शक्ति है।”
एक नेता समूह के सर्वोच्च गुणों को उजागर करता है ,उसे जोड़ता है तथा टूटने से बचाता है। समूह का नेता समूह की उपयोग में न आने वाली शक्ति और रचनात्मकता को सही मार्ग में दिशा देता है। मेरी पार्कर फोलेट ने सही कहा है ,एक नेता वह व्यक्ति है जो सबसे अधिक प्रभाव छोड़ता है वह बहुत बड़ा कार्य नहीं करता अपितु वह हमें अहसास करवाता है कि मैं महान कार्य कर सकता हूं।
यहां हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे।

लोगों में विश्वास और उत्साह बनाने की योग्यता ही नेतृत्व कहलाती है तथा यह उनमें एक इच्छा जाग्रत करती है कि वह चाहते हैं कि उनका नेतृत्व हो। एक सफल नेता में दूरदृष्टि ,प्रेरक तत्व, पहल करने की योग्यता, आत्मविश्वास तथा व्यक्तिगत ईमानदारी होनी चाहिए। दूसरे शब्दों में वांछित सांझे उद्देश्य की प्राप्ति के लिए एक दूसरे को सहयोग देने के लिए लोगों को प्रेरित करने के कार्य को नेतृत्व कहते हैं । समाज में बहुत कम लोग यह काम कर पाते हैं।
व्यक्ति की नेतृत्व क्षमता इस योग्यता में है कि वह समूह की यत्नों को योजनाबद्ध ढंग से इस प्रकार दिशा निर्देशित करता है कि समूह, संस्थान, संगठन का सांझा उद्देश्य पूरा हो सके । अतः यह कहा जा सकता है कि नेतृत्व में वह प्रभाव छुपा हुआ है जिससे प्रेरणा पाकर अधीनस्थ लोग तथा अनुयायी अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए पूरी शक्ति से काम करते हैं । नेतृत्व एक व्यक्तिगत गुण है। यह तब होता है जब अनुयायी हो इससे यही निष्कर्ष निकलता है कि जब अनुयायी न हो तब नेतृत्व का अस्तित्व भी नहीं होता। लोगों की अनुगामी चलने की राजामंदी के कारण ही कोई व्यक्ति नेता बनता है। प्रभावित करने की प्रक्रिया ही नेतृत्व कहलाती है। इसका अर्थ है कि एक अच्छा नेता अपने अधीनस्थों के व्यवहार, रुझान तथा विश्वासों को प्रभावित करता है । सांझे उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ही नेतृत्व अस्तित्व में आता है । नेतृत्व का अर्थ है कि सभी स्थितियों में संपूर्ण जिम्मेवारी उठाने के लिए तैयार रहना। नेतृत्व का कार्य है कि वह संगठन ,समूह के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अनुयायियों को प्रेरित करने की दिशा में प्रयासरत रहे ।
नेतृत्व एक परिवर्तनशील प्रक्रिया है जो समूह के सदस्यों की जरूरत को पूरा करती रहती है। लोगों की एक दूसरे से वैचारिक टकराव से ही नेतृत्व उभरता है। सही नेतृत्व के बिना कोई समाज या संगठन विकास के पथ पर अग्रसर नहीं हो सकता। नेतृत्व के बिना कोई घर ,संप्रदाय, संस्थान, संस्था ,व्यवसाय तथा कोई देश अपना कार्य नहीं कर सकता । अतः नेता ही अगुवाई करता है, मानने योग्य सुझाव देता है, सही मार्ग दिखाता है, दूसरे लोगों के लिए आदर्श होता है ,हुक्म देता है जिसकी लोग अनुपालना तथा आदर करते हैं। सभी दशाओं में जो कुछ नेता करता है वह उसकी अपेक्षा दूसरे लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है। अपने अनुयायियों के सहयोग के बिना कोई भी नेता अपनी प्रभावपूर्ण स्थिति में नहीं रह पाएगा तथा लंबे समय तक अपनी प्रतिष्ठा नहीं बन पाएगा । वह कुछ समय के लिए तानाशाह बनकर नेता बना रहेगा मगर उसका भविष्य चौपट हो जाएगा। अतः नेता को तानाशाही रवैया नहीं अपनाना चाहिए। नेतृत्व की आवश्यकता हर क्षेत्र में पड़ती है । नेतृत्व व्यवसाय का दर्पण है तथा यह व्यवसाय की प्रकृति और आकांक्षाओं को दर्शाता है। इसका अर्थ यह है कि एक व्यवसाय के रूप में तब तक प्रगति नहीं कर सकता जब तक किसी उच्च कोटि का महत्वकांक्षी नेतृत्व न मिले।
किसी भी क्षेत्र में प्रगति इस बात पर निर्भर करती है कि इसमें व्यावसायिक नेतृत्व की गुणवत्ता कितनी है। जब नेता अपने व्यवसाय को विकसित करता है तो वह प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से खुद को बढ़ावा दे रहा होता है। प्रत्यक्ष रूप में उसका कद बढ़ता है तथा सामाजिक पहचान मिलती है। परोक्ष रूप में कार्य द्वारा उसे व्यवसाय का लाभ मिलता है। नेतृत्व ऐसा गुण नहीं है जो लोगों पर थोपा जा सके। व्यक्ति किसी घटना के कारण ही नेता नहीं बन जाता। नेतृत्व का भार उसी व्यक्ति के कंधों पर आता है जिसमें व्यक्तिगत गुण हो, अनुभव व प्रशिक्षण की पृष्ठभूमि हो क्योंकि इससे व्यावसायिक समर्थता में वृद्धि होती है। एक बात तो निश्चित है कि अपने विशेष गुणों के कारण ही एक नेता आम व्यक्ति से भिन्न नजर आता है।साधारणतया: वे गुण जो एक व्यक्ति को नेता बनाते हैं वे हैं _आत्मविश्वास, बुद्धिमत्ता ,साहस ,इच्छा -शक्ति , संकल्प शक्ति, दूरदृष्टि ,मानसिक स्पूर्ति ,तर्कशक्ति , फैसला लेने की शक्ति ,नैतिकता का आचार विचार ,अनुशासन तथा परिवर्तनशीलता।
संक्षेप में- नेतृत्व एक कला है क्योंकि यह सभी के सामर्थ्य की बात नहीं है कि वे लोगों को अपना अनुगामी बना सके । यह एक विज्ञान भी है क्योंकि इसमें योजनाबद्ध ढंग से नेतृत्व का विकास तथा वृद्धि की जाती है नेतृत्व को सही मायनों में एक उपहार माना जाता है क्योंकि इसमें आंतरिक दैवीय गुणों की आवश्यकता होती है।