“मांसपेशिये तंत्र”
भूमिका- मानव शरीर में मांसपेशियों की अहम भूमिका होती है क्योंकि मांसपेशियों में एक अलग संकुचन की क्षमता होती है और यह मैकेनिकल कार्य करने में सहायक होती है। मांसपेशियां मोटर के रूप में कार्य करती हैं। मांसपेशी ही शरीर को बाल व आकार देती है। मानव शरीर में लगभग 600 से 640 मांसपेशियां पाई जाती हैं। मांसपेशियों का भरा शरीर के भर का लगभग 45% होता है,। मांसपेशियों का 25% भाग प्रोटीन तथा 75% भाग जल का होता है।“मांसपेशिये तंत्र” मांसपेशिये तंत्र की सरंचना
मानव शरीर की मांसपेशियों को तीन प्रकार से वर्गीकृत किया गया है- ( 1) ऐच्छिक/ कंकालीय/ रेखित मांसपेशी -यह मांसपेशियां मनुष्य की अस्थियों से जुड़ी रहती है ,जो मनुष्य की इच्छा पर कार्य करती हैं ।शरीर को गति प्रदान करने के लिए संधियों के साथ मांसपेशियां ही कार्य करती हैं। जैसे क्रिकेट बॉल फेंकने के लिए पैक्टोरेलिज मेजर मुख्य रूप से कार्य करती है इसीलिए इसे थ्रोअर मसल कहते हैं।किसी वस्तु को उठाने के लिए कंधे की डेल्टॉयड मांसपेशी मुख्य रूप से कार्य करती है, इसे लिफ्टर मसल के नाम से जानते हैं।
( 2)अनैच्छिक /अरेखित/ अंतरंगी मांसपेशी – यह वे मांसपेशियां होती हैं। जिन पर व्यक्ति की इच्छा का कोई प्रभाव नहीं पड़ता यह स्वत:ही कार्य करती हैं। अपने आप संकुचित व अनुशिथिल होती हैं ,।जैसे फेफड़े, यकृत प्लीहा,छोटी आंत, डायफ्रॉम आदि ।अनैच्छिक मांसपेशियों में परकिन्जे तंतु होते हैं ,जो इनके संकुचन व प्रकुंचन का कार्य करने में मदद करते हैं।जिसमें संकुचन वाले प्रोटीन,एक्टिन व मायोसिन नहीं पाए जाते । ये ऐच्छिक मांसपेशी में पाए जाते हैं।
(3) हृदय पेशी- यह पेशियां आंतरिक अंग हृदय का निर्माण करते हैं। हृदय पेशियां हृदय को चारों तरफ से घेरे रहती हैं। इन पेशियों की संरचना ऐच्छिक मांसपेशी की तरह होती है धारीदार किंतु इनका कार्य अनैच्छिक मांसपेशियों की तरह होता है स्वत:ही संकुचित वह अनुशिथिल होती हैं। हृदय पेशी, की तीन परतें होती हैं ।बाहरी परत को एपिकार्डियम, बीच वाली परत को मायोकार्डियम तथा अंदरूनी परत को एंडोकार्डियम कहते हैं। एपीकार्डियम पेरिकार्डियम नामक तीन परतों से मिलकर बना होता है, जिसके बीच की परत में सेरस नामक तरल पदार्थ भरा रहता है जो हृदय को बाहरी आघातों से बचाता है। कंकालीय पेशी अस्थियों से जुड़ी रहती है, जो बीच में मोटी तथा दोनों किनारो पर पतली होती है जिन्हें टेंडन कहते हैं। इसी प्रकार मांसपेशियों के कार्य के अनुसार उन्हें फ्लैक्सर एवं एक्सटेंसर कहा जाता है। मांसपेशियां अपने परिणाम , आकार के अनुसार छोटी, लंबी चौड़ी, चपटी और तिकोनी प्रकार की होती हैं। शरीर रचना विज्ञान के अनुसार मांसपेशियों के लिए ओरिजिन तथा इंसर्टियों शब्दों का प्रयोग किया जाता है ओरिजिन का अर्थ मांसपेशी का वो सिरा संकुचन के दौरान स्थिर रहता है, और इनसरसन का अभिप्राय मांसपेशी के गतिशील किनारे से है। माइक्रोस्कॉपिंक स्ट्रक्चर ऑफ़ मसल्स- माइक्रोस्कोप से देखने पर मांसपेशी कई संकुचिये तंतुओं के एक बंडल जैसी दिखाई देती है। जिसको चारों तरफ से कनेक्टिव टिशु घेरे रहते हैं। जिन्हे हम फेशिया कहते हैं। मांसपेशी के इस भाग को एपिमाइसियम कहते हैं। इसके आवरण को फेशिकल कहते हैं। यह तंतु मांसपेशी की कोशिका होते हैं।एक तंतु एक मांसपेशी कोशिका होती है, जिसमें केंद्रक ,माइटोको न्डिया, मेयोफाइब्रिल् आदि होते हैं मायोफाइबरील को एंडोमाइसियम कहते हैं। मायोफाइबर में प्रोटीन फिलामेंट रहते हैं, जिन्हें हम एक्टिंग और मायोसिन कहते हैं। मानव शरीर की मांसपेशी में यह तंतु दो प्रकार के पाए जाते हैं -( क)रेड मसल्स फाइबर,- इन तंतुओं के संकुचन की समय अवधि लंबी होती है और यह थकान की स्थिति में भी कार्य करते हैं।
( ख)व्हाइट मसल्स फाइबर,-इन तंतुओं के संकुचन की समय अवधि कम होती है।
कुछ महत्वपूर्ण तथ्य मांसपेशी तंत्र के बारे में:- पेशिय विज्ञान का जनक अरस्तु को कहते हैं। पेशी कोशिका भ्रूण में मेसोडर्म से बनती है अपवाद आंखों की आइरिस एवं सिलियरीकाय पेशियां जो भ्रूण के एक्टोडर्म से बनती हैं। मानव शरीर की सबसे लंबी मांसपेशियां सारटोरियस मांसपेशीय होती है ।मानव शरीर की सबसे बड़ी मांसपेशी ग्लूटियस मैक्सिमस होती है। मानव शरीर में सबसे मजबूत जबड़े की मांसपेशी जिसे मैजिस्टर कहते है। मानव शरीर की सबसे छोटी मांसपेशी जिसे स्पीडीयस कहते है
मानव शरीर में सबसे ज्यादा व्यस्त रह एक्टरोकूलर जो आंख में पाई जाती है ।मानव शरीर में सर्वाधिक मांसपेशी पीठ में 108 पेशियां पाई जाती हैं मांसपेशियों की गतिविधि पूरी तरीके से नर्व और ब्लड सप्लाई पर निर्भर करती है मसल में मौजूद पानी रचीलेपन के लिए जिम्मेदार होते हैं मांसपेशी की लंबाई मापने के लिए इकाई माइक्रोन आता है मानव शरीर के थकान का कारण लैक्टिक एसिड होता है इसको समाप्त होने में 48 घंटे का समय लगता है। मांसपेशियों के बीमारी को मायोपैथी कहा जाता है। मूवमेंट के दौरान जब मसल की लेंथ छोटी होती है तो उसे एगोनिस्ट तथा जब बड़ी होती है तो एंटागोनिस्ट कहते हैं । मांसपेशी में ग्लाइकोजन का पर्याप्त मात्रा में होने के कारण खिलाड़ी देर से थकता है। मांसपेशियों को पूर्ण टोन में रखने के लिए उचित और प्राप्त व्यायाम करना चाहिए इससे रिएक्शन टाइम अच्छा होता है हमारे शरीर के कुल वजन का 2/ 5 भाग होता है, वॉलंटरी मसल्स का। मांसपेशियां पोटेशियम की कमी से कमजोर होती है।