“योग चिकित्सा या मेडिटेशन”
भूमिका- वर्तमान समय में मानव ने स्वयं को अनेक शारीरिक मानसिक रोगों के चक्रव्यूह में फंसा लिया है। इन रोगों की चपेट में आने का कारण व्यक्ति द्वारा शारीरिक क्रिया ना करना अर्थात मशीनों की सहायता से सभी कार्य करने की प्रवृत्ति का तेजी से बढ़ाना। इन रोगों से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति भिन्न चिकित्सा पद्धतियों का सहारा लेता है, वर्तमान में व्यक्ति की कार्यप्रणाली व खानपान को देखते हुए योग उपचार से बढ़कर अन्य कोई भी उपचार पद्धति कारगर सिद्ध नहीं हो सकती।
योग या मेडिटेशन के द्वारा विभिन्न रोगों का उपचार करना,योग चिकित्सा एक ऐसी पद्धति है जिसके द्वारा चिकित्सक के बिना भी यदि व्यक्ति योग का गहन अनुभव रखता है तो अपना उपचार स्वयं कर सकता है। योग चिकित्सा में व्यक्ति स्वयं अपने स्वास्थ्य की देखभाल करते हुए अनेक असाध्य रोगों पर काबू पाने में कामयाब हो सकता है। योग चिकित्सा एलोपैथिक चिकित्सा, आयुर्वेदिक चिकित्सा, होम्योपैथिक चिकित्सा ,यूनानी चिकित्सा ,व चुम्बकीय चिकित्सा से सर्वथा विपरीत है ,किंतु योग चिकित्सा जहां यौगिक क्रियाओ व अन्य योग के साधनों से चिकित्सा करती है, वहीं अन्य चिकित्सा पद्धति दवाइयां व अन्य तरीकों से अपनी चिकित्सा करती है। अधिकांश चिकित्सा प्रणालियां मन की बीमारियों को समझने में असफल होती हैं। मन के अंतकरण तक नहीं पहुंच पाती। उन्हें मन की गहराई व शक्ति का अनुभव नहीं होता। इस दिशा में मानसिक बीमारियों के नियंत्रण में योग की भूमिका अद्वितीय है ,क्योंकि योग ध्यान की तकनीकी हमें मन की गहराइयों तक ले जाती हैं।यौगिक क्रियाएं हमारे चेतन मन का विस्तार करती हैं।
योग ध्यान के अनुसार मानव अस्तित्व के भौतिक ,भावनात्मक, मानसिक ,इंद्रिय बोध से परे एवं आध्यात्मिक आयाम है। आधुनिक औषधीयों का सहयोग अत्यंत लाभकारी होगा। योग न केवल हमारे मन और अस्तित्व का अति सूक्ष्म आयामों की स्पष्ट रूपरेखा प्रस्तुत करता है ,वरन हमें कुछ ऐसी विधियां प्रदान करता है जिससे हम अपने मन और चेतना को स्वास्थ्य एवं संतुलित रख सकते हैं।
दमा,मधुमेह अथवा मनोकायिक व्याधियों के उपचार या निराकरण के लिए हमें बाह्य लक्षणों के परे जाकर देखना चाहिए । योग द्वारा हमें अपने मन तथा अन्य मन को समझने के लिए अच्छी सहायता प्राप्त होती है।
ध्यान या फिर योग से असामान्य शक्तियां पैदा होती हैं- लगातार सोच विचार से व्यक्ति के शरीर पर बुरा असर होता है,वह कमजोर होते चले जाते हैं। जिसका असर त्वचा पर भी काफी हद तक देखने को मिलता है।
त्वचा हमारे शरीर का सबसे बड़ा हिस्सा होता है। जिससे सभी अंग जुड़े होते हैं ,और अगर त्वचा में चमक नहीं है तो इससे हमारी सुंदरता प्रभावित होती है। हम सुंदर नहीं दिखते हैं। मेडिटेशन या ध्यान एक ऐसी प्राचीन पद्धति है, जो व्यक्ति को सदैव युवा रखती है। ध्यान से व्यक्ति की आयु सीमा मानो रुक सी जाती है ध्यान व्यक्ति को रिचार्ज करती है ।यह मां और शरीर को की क्रिया मन और शरीर को क्रियाशील बनती है। ध्यान एक प्रभावी क्रिया है जिससे मनुष्य अपने समस्याओं का निपटारा स्वयं करने में सक्षम होता है। व्यक्ति निरोग होता चला जाता है। ध्यान करने से कमजोर दिमाग और भूलने की समस्या से व्यक्ति को छुटकारा मिलता है। अगर व्यक्ति ध्यान या योग करता है, तो उसको किसी दवा की आवश्यकता नहीं होती है। योग करने से व्यक्ति गुस्से पर काबू पाने लगता है ,जिस घर परिवार वह काम स्थल पर सुख शांति बढ़ने लगती है पूरा दिन अच्छा बितता है ,सकारात्मक वातावरण का निर्माण होता है ,काम बिगड़ने से बच जाते हैं।
ध्यान करने से व्यक्ति में असामान्य शक्तियों का संचार होने लगता है, जैसे भविष्य में होने वाली घटनाओं का भान हो जाता है। किसी की मन की बातों को व्यक्ति जान लेता है। ध्यान व्यक्ति के शरीर की कोशिकाओं और इंद्रियों को नियंत्रित व व्यवस्थित करती है, जिससे तनाव पर नियंत्रण किया जा सकता है।
निष्कर्ष- आज के युग की सबसे बड़ी समस्या अवसाद हो गया है। जो लगभग हर तीन में से एक व्यक्ति की समस्या है ,इस पर काबू पाने का आसान और बेहतरीन तरीका है। मेडिटेशन या ध्यान करना ।ध्यान से व्यक्ति अपने दिमाग पर कंट्रोल करना सीख जाता है ,और अगर व्यक्ति का दिमाग उसके बस में नहीं है, तो वह दुनिया की हर खुशी, सुख, सुविधा पाकर भी उदासी भरा जीवन व्यतीत करता रहता है। उसका जीवन दुख में बीतेगा माना जाता है ,कि अगर प्रतिदिन नियमित रूप से ध्यान किया जाए तो हमारे मस्तिष्क की कोशिकाओं का पुनर्निर्माण होने लगता है ।जो अभी तक माना जाता था ,कि यह प्रक्रिया पूरे शरीर में होती है, सिर्फ मस्तिष्क को छोड़कर ।मतलब मस्तिष्क में कोशिका का निर्माण, कोशिका का विभाजन क्रिया नहीं होता है। वह ध्यान द्वारा होने लगा है ।इसको किसी चमत्कार से काम नहीं कहा जा सकता। कई ऐसी बीमारियां जो मेडिकल साइंस में ठीक होना असंभव था ध्यान ने उसको संभव बनाया है।
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