“व्यक्तित्व”
भूमिकाआम व्यक्ति के लिए व्यक्तित्व का अर्थ व्यक्ति के बाहरी स्वरूप , आदतों, पहनावे के ढंग, प्रसिद्धि, आचार- विचार व अन्य गुणों से है।हम अक्सर व्यक्ति को अच्छी टिप्पणी देकर कहते हैं ‘क्या शानदार व्यक्तित्व है ‘तथा जब अपनी अच्छी राय व्यक्त नहीं करते तब कहते हैं,’उसका व्यक्तित्व अच्छा नहीं है’ ।या ‘उसका व्यक्तित्व बुरा है।’ आम व्यक्ति की व्यक्तित्व के बारे में संकल्पना मनोवैज्ञानिकों से अलग है। मनोवैज्ञानिक “व्यक्तित्व”को वह व्यवहार या बाहरी स्वरूप नहीं मानते परंतु वे मानते हैं कि व्यक्तित्व इनके अलावा कुछ और भी है। अतः हमारी आज की चर्चा का केंद्र बिंदु व्यक्तित्व के संदर्भ में ही होने वाला है
व्यक्तित्व शब्द लैटिन शब्द परसोना से लिया गया है जिसका अर्थ है मुखौटा।पुराने समय में ग्रीक में थिएटर में काम करते हुए अभिनेता अपनी पहचान छुपाने के लिए मुखौटा पहनते थे । बाद में परसोना शब्द इस अर्थ में प्रयुक्त होने लगा कि व्यक्ति दूसरों को कैसा दिखता है न कि वह खुद वास्तव में कौन है। नाटक में अभिनेता को अपने पात्र की तरह दिखना पड़ता है न कि वह खुद क्या है ।
“कार्ल जुंग के अनुसार “परसोना आदमी का बाहरी आवरण होता है, सामाजिक सभ्यता की मांगों के उत्तर में व्यक्ति द्वारा पहने जाने वाला मुखौटा है।”अतः व्यक्तित्व का यही अर्थ निकाला गया कि व्यक्ति दूसरों पर क्या प्रभाव छोड़ता है ।मानवीय व्यक्तित्व एक जटिल संरचना है जो उद्देश्यों, भावनाओं ,इच्छाओं ,आदतों, विचारों का एक संतुलन है तथा इनसे ओतप्रोत है। यह अस्तित्व का कुल जोड़ है जिसमें भौतिक, मानसिक, सामाजिक, भावनात्मक तथा बौद्धिक पहलू शामिल है। एक व्यक्ति के व्यक्तित्व से उसकी कल्पना, रुझान, विचार, इच्छाएं, कामनाएं, आदतें, मूल्य ,रुचिया तथा विचारों का पता चलता है तथा उसकी समझदारी, उसकी उपलब्धियां, प्रेरणा, तालमेल का पता चलता है।
व्यक्तित्व बायोलॉजिकल तथा सांस्कृतिक धरोहर हेरिटेज का प्रतिफलन प्रोडक्ट है। बच्चा जैविक धरोहर लेकर पैदा होता है मगर सांस्कृतिक वातावरण उसके व्यक्तित्व को आकार देता है। व्यक्तित्व वह तरीका है जिसके द्वारा व्यक्ति खुद को वातावरण के साथ तालमेल बिठाता है तथा प्रतिक्रिया व्यक्त करता है। अतः यह जीव विज्ञान और संस्कृति का सम्मिश्रण है।हम में से प्रत्येक की अनुपम व्यवस्था है जो हमारे व्यवहार और विचारों को दर्शाती है ।व्यक्तित्व ही व्यक्ति को सबसे अलग दिखता है। यह कई गुणों से निर्मित होता है। ये बाहरी लक्षण होते हैं तथा गतिशील बल होते हैं जो कई तरीकों से संघर्षरत है। यह विभिन्न गुणों का संगठन मात्र है ।इसी संघर्ष का नतीजा है कि दो व्यक्तियों का व्यक्तित्व एक जैसा नहीं होता ।व्यक्तित्व अनुपम होता है।
स्वामी राधा कृष्ण के अनुसार “व्यक्तित्व हमारे कर्मों और क्षमताओं का मेल है, यह तन मन और आत्मा का सुंदर मेल है। यह मानवीय एकता का चिन्ह है, लगातार जैविक क्रम के बीच में व्यक्ति की अनोखी उत्पत्ति है।”
व्यक्तित्व के संदर्भ में कुछ मुख्य सिद्धांतों का जिक्र करना जरूरी हो जाता हैजैसे व्यक्तित्व का प्रकार सिद्धांत- इसके अंतर्गत मनोवैज्ञानिकों ने मनुष्य को शारीरिक ढांचे व व्यवहार के आधार पर निम्न प्रकार बांटा है। क्रैशमर द्वारा दिया गया व्यक्तित्व वर्गीकरण है- एथलीट टाइप , एसथैनिक टाइप, पिकनिक टाइप और डिसप्लास्टिक टाइप। विलियम शेल्डन द्वारा दिया गया व्यक्तित्व वर्गीकरण है एंडोमोरफिक जिसे विसिरोंटोनिक भी कहते हैं ।मेसोमोरफिक जिसे सोमैटोनिक कहते हैं और एक्टोमोरफिक है जिसे सेरेब्रोटोनिक भी कहते हैं।
जुंग द्वारा दिया गया व्यक्तित्व वर्गीकरण है_ अंतर्मुखी (इंट्रोवर्ट), बहिर्मुखी (एक्सट्रोवर्ट), और इन दोनों का मिश्रित रूप उभय मुखी (एम्बिवर्ट)।
हिप्पोक्रेट्स द्वारा दिया गया व्यक्तित्व वर्गीकरण है (नोट: इन्हें चिकित्सा विज्ञान का जनक माना जाता है)_अधिक रुधिर वाले ( सेंनगयुनिक टाइप) बोलते हैं। पीलापित वाले (फ्लैगमेटिक टाइप) बोलते हैं। कालापित वाले (मेलन कोलिक) बोलते हैं ।
संक्षेप में_
हम कह सकते हैं कि असल में व्यक्ति के कुल व्यवहार की गुणवत्ता(क्वालिटी) व्यक्तित्व बताता है।व्यक्तित्व में पैत्तृक व अनुभव द्वारा अर्जित गुणों का प्रकटीकरण होता है। यह उसके रिस्पांस पैटर्न का नमूना है जिससे वह वातावरण में खुद को ढालता है तथा आसपास की दुनिया को जवाब देता है तथा बिहेवियर पैटर्न को दर्शाता है कि वह विभिन्न स्थितियों में भिन्न-भिन्न तरह से व्यवहार करता है। अच्छे व्यक्तित्व की सही परिभाषा कर पाना कठिन है मगर खुद अपने द्वारा स्वीकृत, दूसरों द्वारा स्वीकृत, काम में दक्षता, अपने अंदर के द्वंदों (कनफ्लिक्टस) से मुक्ति अच्छे व्यक्तित्व की मुख्य पहचान है।