“संतुलित आहार, इसके तत्व तथा स्त्रोत”
भूमिका- शरीर को विभिन्न जैविक क्रियाओ के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है यह ऊर्जा भोजन से प्राप्त की जाती है। भोजन ऊर्जा प्रदान करने के साथ-साथ अन्य जैविक कार्यों जैसे शरीर की उचित वृद्धि एवं विकास, रोगों से शरीर की रक्षा आदि करता है।एक रिसर्च में पाया गया है,भारत में 90% लोगों को आज भी उनकी शारीरिक आवश्यकता के अनुकूल आवश्यक भोज्य तत्वों से युक्त भोजन नहीं मिल पाता ।
संतुलित आहार – वह आहार जो शरीर के लिए ऊर्जा दायक, वृद्धि कारक तथा क्षतिपूरक होता है तथा उस आहार में पोषक तत्व उचित मात्रा में उपलब्ध हो उसे संतुलित आहार कहते हैं। संतुलित आहार वह भोजन है जिसमें विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ एक ऐसी मात्रा व अनुपात में होते हैं जिससे कि सभी पोषक तत्वों की भरपाई एक निश्चित व निर्धारित मात्रा में प्राप्त होती हो।
आज के समय में प्रत्येक देश में इस बात पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है कि लोगों को संतुलित आहार मिले,जिससे विशेष कर बच्चों को कुपोषण से बचाया जा सके।भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अनुसार,”संतुलित आहार वह आहार है जो शरीर की वृद्धि, विकास कार्य तथा स्वास्थ्य संरक्षण के लिए आवश्यक तत्व को शामिल करता है जो कि उसमें मात्रा और गुणों में संतुलन रूप से पाये जाते हैं।”
मानव -शरीर में ऊर्जा की खपत दैनिक कार्य की प्रकृति, उम्र ,लिंग, वातावरण ,जलवायु, शारीरिक स्वास्थ्य आदि कई कारकों पर निर्भर करती है ।जैसे मानव में सोने के समय सबसे कम ऊर्जा की खपत होती है ।तथा खेलने- दौड़ने पर या शारीरिक श्रम करते समय सबसे अधिक ऊर्जा की खपत होती है।
ये खपत मुख्यत दो प्रकार से होती है -आंतरिक क्रियो द्वारा तथा बाह्य क्रियाओ द्वारा।
शरीर द्वारा कार्य करने के लिए शक्ति की आवश्यकता पड़ती है जो ऊर्जा से प्राप्त होती है और इस ऊर्जा की माप “कैलोरी” में की जाती है।
सबसे अधिक ऊर्जा वसा अर्थात चिकनाई युक्त पदार्थो से मिलती है। कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन में बराबर मात्रा में ऊर्जा मिलती है। पोषक तत्वों को शरीर में उनकी आवश्यकता के अनुसार तीन प्रकार में बांटा गया है –
१-मैक्रो न्यूट्रिशन -इनकी आवश्यकता शरीर में अधिक पड़ती है। इसके अंतर्गत कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन आते हैं।
२- माईक्रो न्यूट्रिशन -इनकी आवश्यकता शरीर में कम पड़ती है ।इसके अंतर्गत खनिज लवण तथा विटामिन आते हैं।
३- जल- आवश्यकता के अनुसार इसे तीसरा प्रकार माना गया है।
कार्बोहाइड्रेट मानव शरीर में ऊर्जा उत्पादन का मुख्य साधन है। शरीर के कुल ऊर्जा का लगभग 55 से 60% भाग इसी से प्राप्त किया जाता है ।कार्बोहाइड्रेट मुख्यतः कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से बना होता है।
वसा को रासायनिक रूप से लिपिड कहा जाता है। वसा का निर्माण मुख्यतः कार्बन हाइड्रोजन व ऑक्सीजन तीन रासायनिक तत्वों से होता है, जो कार्बोहाइड्रेट में भी पाया जाता है।
प्रत्येक प्रोटीन का निर्माण अमीनो अम्लों से होता है अमीनो अम्ल प्राय:कार्बन,हाइड्रोजन, ऑक्सीजन से मिलकर बना होता है ।प्रकृति में लगभग 24 प्रकार के अमीनो अम्ल पाए जाते हैं ।
विटामिन तथा खनिज लवण को सुरक्षात्मक भोज्य कहते हैं। इसकी कमी से शरीर में कई प्रकार के रोग होने की संभावना बनी रहती है।
संक्षेप में-
खाने -पीने की आदतें व सामाजिक रीति रिवाज भी व्यक्ति के भोजन पर प्रभाव डालते हैं ।कुछ व्यक्ति ‘फास्ट फूड’ खाने के आदी होते हैं ,समाज का एक वर्ग मांसाहारी भोजन को तरजीह देता है ,जबकि एक दूसरा वर्ग शाकाहारी खाना पसंद करता है। हम जो कुछ भी कहते हैं, वह हमारी सेहत पर सीधा असर करता है। सही एवं संतुलित भोजन कुछ बीमारियों के हमले को रोकता है और कुछ और बीमारियां लगने की सूरत में उनसे मुक्ति पाने एवं ठीक होने की प्रक्रिया में हमारे शरीर की मदद करता है। असंतुलित भोजन अलग-अलग बीमारियां लगने का खतरा बढ़ा देता है।शरीर के लिए आवश्यक सारे पौष्टिक तत्व प्राप्त करने का एक ही तरीका है,वह संतुलित भोजन /आहार खाना। जिससे हमारे शरीर की कोशिकाओं को अच्छी तरह चालू हालत में रखने के लिए जरूरी है, कि उन्हें खुराक के माध्यम से सही रसायनों की सही मात्रा लगातार मिलती रहे।