“स्वास्थ्य”

"स्वास्थ्य"

भूमिका – स्वास्थ्य बहुत ही अहम विषय है। स्वस्थ लोग एक स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण करते हैं। यहां यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि स्वास्थ्य से भाव सिर्फ बीमारियों की अनुपस्थिति से नहीं बल्कि स्वास्थ्य शब्द ही अपने आप में बहुत व्यापक है। किसी भी देश की ताकत व मजबूती इसके लोगों के स्वास्थ्य पर निर्भर करती है। इस परिपेक्ष में हम स्वास्थ्य का महत्व एवं इसके विभिन्न आयाम का अध्ययन करेंगे।

लोगों के स्वास्थ्य का भविष्य एक बड़ी हद तक इस तथ्य पर निर्भर करता है कि स्वास्थ्य को प्रोत्साहित करने सुधारने, व संभालने के लिए क्या कुछ किया जाता है। स्वास्थ्य मानव का बुनियादी अधिकार है।
स्वास्थ्य जीवन की अमूल्य निधि है । स्वास्थ्य जीवन की कुंजी है।
आज इसकी तरफ ध्यान भी इसी तरह का दिया जाना चाहिए। जैसे जीवन में सफलता हासिल करने के लिए अच्छा नागरिक होना अत्यंत जरूरी होता है ठीक उसी प्रकार कौमी खुशहाली सिर्फ तभी संभव हो सकती है जब कौम या देश के नागरिक स्वस्थ होंगे ।जैसा कि हम सब यह भी जानते हैं कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। शास्त्रों में कहा गया है कि स्वास्थ्य धन ही सर्वप्रमुख धन है। आप क्या खा रहे हैं स्वास्थ्य का संबंध केवल इससे नहीं है बल्कि आप क्या सोच रहे हैं क्या कह रहे हैं स्वास्थ्य का संबंध इससे भी
है। विश्व स्वास्थ्य संगठन स्वास्थ्य को पूर्ण शारीरिक ,मानसिक और सामाजिक कल्याण की स्थिति के रूप में परिभाषित करता है न कि केवल बीमारी या दुर्बलता की अनुपस्थिति के रूप में।
स्वास्थ्य शास्त्री अब धीरे-धीरे इस धारणा को त्यागते जा रहे हैं कि स्वास्थ्य सिर्फ बीमारियों का इलाज या इनकी रोकथाम तक ही सीमित है। उनका स्वास्थ्य के प्रति जो संकल्प है उसमें इस बात पर जोर दिया जाता है कि अपना स्वास्थ्य या भलाई का ख्याल रखना व्यक्ति की अपनी जिम्मेदारी है। यहां यह स्पष्ट किया जाता है कि स्वास्थ्य न तो अचल या स्थिर है और ना ही बाहरी हालात से बिल्कुल अछूता होता है। हमारा स्वास्थ्य तो अपने चारों ओर के वातावरण में हिस्सेदारी और एक दूसरे को समझने की हमारी सामर्थ्य पर निर्भर करता है। इसी तरह हम कहां रहते हैं ,क्या पेशा करते हैं, क्या आहार लेते हैं, कौन सा पानी पीते हैं, और किस-किस की हवा में सांस लेते हैं यह सारे तथ्य हमारे स्वास्थ्य की देखरेख के लिए बहुत अहम है।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाले अधिकारियों व संस्थाओं ने स्वास्थ्य से जुड़े तीन आयाम तय किए हैं जैसे शारीरिक आया मानसिक आयाम और सामाजिक आयाम।। पर यह महसूस किया गया है कि कुछ और आयाम भी स्वास्थ्य के साथ जोड़े जा सकते हैं जैसे की भावनात्मक, आध्यात्मिक, व्यवसायिक शैक्षिक, पौष्टिक, पर्यावरणीय और उपचारात्मक एवं रोकथाम।
शारीरिक आयाम का संबंध शरीर के बाहरी व आंतरिक तौर पर संपूणर्ता के साथ काम करने से है।
मानसिक स्वास्थ्य किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व व भावनात्मक दृष्टिकोण का संतुलित विकास है जो कि उसे अपने साथ ही प्राणियों के साथ सौहार्दपूर्ण ढंग से रहना सीखाता है।

सामाजिक स्वास्थ्य अपने तथा दूसरों के साथ ताल -मेल बिठाने तथा अपने आप को समझने ,और साथ ही दूसरों के साथ चलने, स्वतंत्र होने पर यह महसूस करने कि दूसरों पर भी निर्भर करता है, जैसे तथ्यों को समझने व पहचानने की योग्यता है।
संक्षेप में-स्वास्थ्य हमारे मन, वातावरण व जीवन शैली से बड़ी जटिलता से जुड़ा है। शिक्षा प्राप्ति, खुशी प्राप्ति , सफलता की प्राप्ति और प्रभावशाली नागरिक बनने जैसी प्राप्तियों के लिए अच्छा स्वास्थ्य बुनियादी आवश्यकता है। आयुर्वेद मे स्वास्थ्य को संतुलित मेटाबॉलिज्म क्रिया ,एक खुशी से भरपूर अवस्था और मन व इंद्रियों के तनाव मुक्त होने की दशा को बताया गया है।