“ब्लैकबोर्ड (श्यामपट)”

"ब्लैकबोर्ड (श्यामपट)"

“ब्लैकबोर्ड (श्यामपट)”
भूमिका- श्यामपट्ट या ब्लैक बोर्ड जिसे चौकपट्ट भी कहते हैं, का प्रयोग लिखने के लिए एक सतह के रूप में किया जाता है। इस पर चाक (कैल्शियम सल्फेट) या खड़िया की सहायता से लिखा जाता है। यह लिखने के लिए बार-बार प्रयोग में आने वाला माध्यम है क्योंकि इस पर लिखी सामग्री मिटायी जा सकती है। ब्लैकबोर्ड पर लिखते समय अच्छी लिखावट सबसे अधिक महत्वपूर्ण होती है। लेखन में स्पष्टता का तात्पर्य लेखक की सुसंगत ,बोधगम्य ,अर्थ को व्यक्त करने की क्षमता से है।उस पर लेख ऐसा हो जो शिक्षार्थियों को समझने में सक्षम हो। अतः हमारी आज की चर्चा इसी परिप्रेक्ष्य में होने वाली है-

ब्लैकबोर्ड प्रत्येक विषय के पाठ में सबसे महत्वपूर्ण सामग्री है। किसी भी कक्षा की सज्जा तब तक ठीक नहीं समझी जा सकती है जब तक उसमें ठीक प्रकार से श्यामपट का आयोजन न किया गया हो। ब्लैकबोर्ड का उपयोग
प्रत्येक अध्यापक करता है, परंतु उसका उपयोग प्रभावशाली ढंग से होना चाहिए तथा यह बालकों को शिक्षण देने में लाभकारी सिद्ध हो,इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों पर प्रत्येक शिक्षक को ध्यान देना चाहिए ।
सबसे प्रथम हम यहां श्यामपट क्यों अत्यंत उपयोगी समझा जाता है, इस संबंध में कुछ वर्णन करेंगे और फिर इसका उपयोग किस प्रकार करना चाहिए इस प्रश्न के उत्तर पर प्रकाश डालेंगे।

श्यामपट की उपयोगिता:- श्यामपट का प्रयोग करने से शिक्षक बालक की श्रवण तथा दृष्टि की ज्ञानेंद्रियों की सहायता, पाठ को समझने में प्राप्त कर लेता है।ज्ञान बालक को ज्ञानेंद्रियों द्वारा ही प्राप्त होता है।मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से जितनी अधिक ज्ञानेंद्रिय का प्रयोग होता है, ज्ञान उतनी ही दृढ़ता के साथ बालक के मस्तिक में धारण हो जाता है। अध्यापक जब पाठ को मौखिक रूप से पढ़ाता है तो उस समय बालक की श्रवणेन्द्रिय सक्रिय रहती है। जबकि ब्लैक बोर्ड का प्रयोग करने पर बालक की श्रवणेन्द्रिय के साथ-साथ नेत्रेंद्रीय भी सक्रिय हो जाती है। और इस तरह जो ज्ञान बालक के सम्मुख प्रस्तुत किया जाता है, वह अधिक दृढ़ता से स्मरण हो जाता है।

श्यामपट पर शिक्षक पाठ में जो महत्वपूर्ण प्रसंग आते हैं, उनकी ओर सरलता से ध्यान आकर्षित कर सकता है।
जब भी पढ़ाते-पढ़ाते शिक्षक किसी भी बात को श्यामपट्ट पर लिख देता है तो बालकों का ध्यान स्वत: ही उसकी ओर आकर्षित हो जाता है।

श्यामपट द्वारा पाठ के कठिन स्थलों की व्याख्या चित्र बनाकर, रेखाचित्र अंकित करके या कुछ शब्द लिखकर या मानचित्र बनाकर की जा सकती है।

श्यामपट द्वारा संपूर्ण कक्षा को एक साथ ही पाठ्य-वस्तु, उदाहरण एवं गृह- कार्य दिया जा सकता है।

श्यामपट पर पाठ का सारांश लिखा जाता है और पाठ की पुनरावृत्ति सरल रूप में कराई जा सकती है।

गणित, विज्ञान इत्यादि विषयों का अध्ययन तो बिना श्यामपट की सहायता के हो ही नहीं सकता।शिक्षक गणित के प्रश्नों को बालकों की सहायता से श्यामपट पर हल करता है।वह उन्हें आदर्श हल प्रस्तुत करता है और सिद्धांत निरूपण एवं सामान्यीकरण निकलवाकर लिखता है।इसी प्रकार विज्ञान के शिक्षण से प्रयोग तथा उनके फल एवं सिद्धांत श्यामपट पर लिखकर ही बालकों को समझाये जा सकते हैं।

श्यामपट सबसे सस्ती सहायक सामग्री है।जितने और शिक्षण के उपकरण हैं, वे सब श्यामपट
की अपेक्षा महंगे पड़ते हैं। यह उपकरण निर्धन विद्यालय भी सरलता से उपलब्ध करा सकता है।

आईए अब हम श्यामपट का उपयोग कैसे किया जाए, इस पर थोड़ी चर्चा कर लेते हैं-

श्यामपट कौशल शिक्षण प्रक्रिया का एक भाग है।एक शिक्षक इसी के माध्यम से शिक्षण- अधिगम कार्य का प्रारंभ करता है।इसी के जरिए एक शिक्षक अपने प्रकरण को अपने छात्रों के समक्ष रखता है और उन्हें समझाता है। लिखते समय शिक्षक को बीच-बीच में विद्यार्थियों को देखते रहना चाहिए कि वह अनुशासनहीनता तो नहीं कर रहें‌।
लिखते समय शिक्षक को ब्लैक बोर्ड के एक तरफ 45 डिग्री के कोण पर खड़ा होना चाहिए,ताकि ब्लैकबोर्ड पर लिखा हुआ कार्य शिक्षार्थियों को दिखाई दे सके।शिक्षक को बोर्ड पर लिखते समय अपने शिक्षार्थियों के साथ आंख से संपर्क बनाए रखना चाहिए।

ब्लैकबोर्ड पर प्रत्येक अक्षर अलग और स्पष्ट होना चाहिए। दो अक्षरों और दो शब्दों के बीच पर्याप्त दूरी होनी चाहिए। प्रत्येक अक्षर का झुकाव यथासंभव लंबवत होना चाहिए।अक्षरों का आकार इतना बड़ा होना चाहिए कि कमरे के सबसे दूर के छोर से पढ़ा जा सके।

संक्षेप में-
हम कह सकते हैं कि ब्लैकबोर्ड एक शक्तिशाली दृश्य उपकरण है जो कक्षा में प्रभावी निर्देश की सुविधा प्रदान करता है ।
ब्लैकबोर्ड का उचित उपयोग न केवल दृश्य प्रतिनिधित्व के माध्यम से शिक्षार्थियों को एक पाठ की समग्र समझ प्रदान करता है, बल्कि शिक्षक को कक्षा का ध्यान बनाए रखने में भी सहायता करता है।