“प्रकृति”

"प्रकृति"

“प्रकृति”

भूमिका- प्रकृति सभी के जीवन का महत्वपूर्ण अविभाज्य अंग है। खूबसूरत प्रकृति के रूप में भगवान का सच्चे प्यार से हम सभी धन्य हैं। कुदरत के सुख को कभी गवाना नहीं चाहिए। कई प्रसिद्ध कवियों, लेखक, पेंटर और कलाकार के कार्य का सबसे पसंदीदा विषय प्रकृति होती है। प्रकृति भगवान की बनाई सबसे अद्भुत कलाकृति है जो उसने बहुमूल्य उपहार के रूप में प्रदान की है। प्रकृति सब कुछ है जो हमारे आसपास है जैसे हवा, पानी, भूमि ,पेड़ ,जंगल ,पहाड़, नदी ,सूरज ,चांद ,आकाश, समुद्र, आदि कुदरत अनगिनत रंगों से भरी हुई है जिसने अपनी गोद में सजीव निर्जीव सभी को समाहित किया है । अतः हमारी आज की चर्चा इसी परिप्रेक्ष्य में होने वाली है-

प्रकृति हमारी वास्तविक मां की तरह होती है जो हमें कभी नुकसान नहीं पहुंचाती बल्कि हमारा पालन-पोषण करती है। सुबह जल्दी प्रकृति के गोद में टहलने से हम स्वस्थ और मजबूत बनते हैं, साथ ही यह हमें कई सारी घातक बीमारियों जैसे डायबिटीज, स्थायी हृदय घात, उच्च रक्त चाप, लीवर संबंधी परेशानी, पाचन संबंधी समस्या, संक्रमण, दिमागी समस्याओं, आदि से भी दूर रखता है।

आईये अब हम थोड़ा प्रकृति की अहमियत के बारे में चर्चा कर लेते हैं:
प्रकृति हमारे जीवन का मूल है। प्रकृति के बिना हम जीवन की कल्पना नहीं कर सकते। हमारी आधारभूत ज़रूरतें हवा, पानी, भोजन आदि सभी प्रकृति से ही प्राप्त होते हैं। प्रकृति हमारी जननी है, जो हमें जीवन देती है। प्रकृति ही हमें पालती है।

भगवान के द्वारा प्रकृति में सभी को अपनी शक्ति और विशिष्टता उपलब्ध कराई गई है। इसमें इसके कई रूप है जो मौसम दर मौसम और यहां तक की मिनट दर मिनट बदलते रहते हैं जैसे समुद्र सुबह के समय चमकीला नीला दिखाई देता है दोपहर के समय हरित मणी रंग सा दिखाई पड़ता है।

आकाश पूरे दिन अपना रंग बदलता रहता है सूर्योदय में पीला गुलाबी, दिन के समय आंखें चौंधियाने वाला नीला रंग, चमकदार नारंगी सूर्यास्त के समय और रात के समय बैंगनी रंग का।

हमारा स्वभाव भी प्रकृति के अनुसार बदलता है जैसे खुश और आशावादी सूरज के चमकने के समय, बरसात के समय और बसंत के समय।हम चांदनी रोशनी में दिल से खुशी महसूस करते है, तेज धूप में हम ऊबा हुआ और थका हुआ महसूस करते हैं।

कुदरत के पास कुछ परिवर्तनकारी शक्तियां हैं जो हमारे स्वभाव को उसके अनुसार बदलते हैं। रोगी को अपनी बीमारी से बाहर निकालने के लिए प्रकृति के पास सक्ति है अगर उनको जरूरी और सुहावना पर्यावरण उपलब्ध कराया जाये।

प्रकृति के प्रति हमारे दायित्व:-

हमारे स्वस्थ जीवन के लिए प्रकृति बहुत जरूरी है। इसीलिए हमें इसको खुद के लिए और अगली पीढ़ी के लिए संरक्षित रखना चाहिए।

हमें पेड़ों और जंगलों को नहीं काटना चाहिये, हमें अपने गलत कार्यों से महासागर, नदी और ओजोन परत को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिये, ग्रीन हाउस गैस को नहीं बढ़ना चाहिए तथा अपने निजी स्वार्थों के कारण पर्यावरण को क्षति नहीं पहुंचना चाहिये।हमें अपने प्रकृति के बारे में पूर्णतः जागरूक होना चाहिए और इसको बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए जिससे धरती पर जीवन हमेशा संभव हो सके।

प्रकृति एक प्राकृतिक पर्यावरण है जो हमारे आसपास है, हमारा ध्यान देती है और हर पल हमारा पालन -पोषण करती है। यह हमारे चारों तरफ एक सुरक्षात्मक कवच प्रदान करती है जो हमें नुकसान से बचाती है। प्रकृति के बिना हम लोग इस काबिल नहीं है की धरती पर रह सके।

प्रकृति हमारे आस-पास कई रूपों में है जैसे मौसम, वातावरण, पहाड़, पठार,रेगिस्तान आदि। कुदरत का हर स्वरूप बहुत शक्तिशाली है जो हमारा पालन-पोषण करने के साथ ही नाश करने की क्षमता भी रखता है।

कई बार हमारी छुट्टीयों में हम अपना सारा दिन टीवी, न्यूज़पेपर, कंप्यूटर, खेलों में खराब कर देते हैं लेकिन हम भूल जाते हैं कि दरवाजे के बाहर प्रकृति के गोद में भी बहुत कुछ रोचक है हमारे लिये।
बिना जरुरत के हम घर के सारे लाइटों को जलाकर रखते हैं। हम बेमतलब बिजली का इस्तेमाल करते हैं जो ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा देता है।हमारी दूसरी गतिविधियों जैसे पेड़ों और जंगलों की कटाई से CO2 गैस की मात्रा में वृद्धि होती है और जो ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनती है।
संक्षेप में-
हम कह सकते हैं कि अगर हमें हमेशा खुश और स्वस्थ रहना है, तो हमें स्वार्थी और गलत कार्यों को रोकने के साथ-साथ अपने ग्रह को बचाना होगा और इस सुंदर प्रकृति को अपने लिए बेहतर करना होगा।
पारिस्थितिकीय तंत्र को संतुलित करने के लिए हमें पेड़ों और जंगलों की कटाई रोकनी होगी, ऊर्जा और जल का संरक्षण करना होगा आदि। सच्ची बात यही है कि प्रकृति के असली होता उपभोक्ता हम है तो हमें ही इसका ध्यान रखना चाहिए।