परिचय:-
पथरी का रोग पुरुषों से अधिक स्त्रियों में पाया जाता है
पित्ताशय में जब दूषित द्रव्य जमा होकर ठोस रूप लेता है|
तो इस ठोस पदार्थ को पथरी कहते हैं|
पथरी दूषित द्रव्य जमा हुआ वह समूह होता है जो शरीर के विभिन्न स्थानों पर हो सकती है|
यह छोटी बड़ी अनेक तथा विभिन्न आकृतियों की हो सकती है|
पित्ताशय में पथरी रोग होने के लक्षण:-
जब किसी व्यक्ति को पित्ताशय में पथरी का रोग हो जाता है
तब रोगी व्यक्ति अरुचि तथा अपच की समस्या हो जाती है|
जब रोगी व्यक्ति भोजन कर लेता है तो उसका पेट भारी होने लगता है|
रोगी के पित्ताशय के भाग में तेज दर्द होता है तथा उसके शरीर में कम्पन होने लगता है|
और रोगी को हल्का बुखार भी हो जाता है
रोगी का जी मिचलाने लगता है तथा उसे उल्टियां भी होने लगती हैं|
पित्ताशय में पथरी रोग होने का कारण:-
यह रोग व्यक्ति को भूख से अधिक भोजन करने के कारण होता है
भोजन में चिकनाई वाली चीजों का अधिक प्रयोग करने के कारण भी यह रोग हो सकता है|
अधिक ओषधियो का सेवन करने के कारण भी पथरी का रोग हो सकता है|
मिर्च मसाले वाली चीजों का अधिक सेवन करने के कारण भी पित्ताशय में पथरी का रोग हो सकता है|
अधिक सोने अधिक मात्रा में शराब का सेवन करने और
मेहनत का कार्य न करने के कारण भी यह रोग हो सकता है|
कब्ज बनने के कारण भी यह रोग व्यक्ति को हो जाता है|
मांस अंडे का अधिक सेवन करने के कारण भी पित्ताशय में पथरी का रोग हो सकता है|
स्त्रियों में यह लोग मासिक धर्म के किसी रोग के हो जाने के कारण से हो सकता है|
जब यह रोग हो जाता है तो रोगी के पेट के आगे के भाग में अचानक बहुत तेज दर्द होने लगता है|
कभी-कभी रोगी का जी मचलाने लगता है और उसे उल्टियां भी होने लगते हैं|
जब रोगी व्यक्ति पेशाब करता है तो उसे पेशाब करने में परेशानी होती है|
गुर्दे और मूत्रसंस्थान में पथरी रोग होने के लक्षण:-
और पथरी के कारण रोगी को कभी-कभी बुखार भी आ जाता है|
रोगी व्यक्ति को कपकपी होती है तथा पसीना भी आने लगता है|
इस रोग से पीड़ित रोगी को कभी-कभी पेशाब में रक्त भी आ जाता है जब रोगी व्यक्ति पेशाब करता है|
तो पेशाब की धार फट जाती है जिससे पेशाब की धार इधर-उधर गिरने लगती है
कई बार तो पथरी मूत्र में बहुत लंबे समय तक बनी रहती है|
लेकिन इसके लक्षण सामने दिखाई नहीं देते|
गुर्दे और मूत्र संस्थान में पथरी रोग होने का कारण:-
जब कोई मनुष्य अपने मूत्र के वेग को बार-बार रोकता है तो उसे यह रोग हो जाता है
जब कोई व्यक्ति जरूरत से बहुत कम पानी पीता है|
तो भी उसे यह रोग हो सकता है भोजन में अधिक नमक मिर्च मसाले अचार चीनी तथा मैदे से बनी चीजों
का अधिक इस्तेमाल करने के कारण गुर्दे और मूत्रसंस्थान में पथरी का रोग हो सकता है|
ओषधियों का अधिक सेवन करने के कारण भी गुर्दे और मूत्र संस्थान में पथरी रोग हो सकता है|
तंबाकू गुटखा तथा शराब का अधिक इस्तेमाल करने के कारण भी गुर्दे और मूत्रसंस्थान में पथरी रोग हो सकता है|
शरीर में विटामिन ए बी तथा सी की कमी हो
जाने के कारण भी गुर्दे और मूत्र संस्थान में पथरी रोग हो सकता है|
शारीरिक कार्य अधिक करने के कारण भी गुर्दे और मूत्र संस्थान में पथरी रोग हो सकता है|
जब किसी व्यक्ति को यह रोग हो जाता है तो उसे ठीक करने के लिए रोगी व्यक्ति को
हल्के गर्म पानी में नींबू का रस मिलाकर पिलाना चाहिए|
इसके बाद 3 से 7 दिन तक सफेद पेठे का रस और
केले के डंडे के रस को नारियल पानी में मिलाकर\
प्रतिदिन पीने से रोगी के पित्ताशय, गुर्दे और मूत्र संस्थान
में होने वाली पथरी रोग जल्दी ही ठीक हो जाते हैं|
पित्ताशय, गुर्दे और मूत्र संस्थान में होने वाली पथरी को
ठीक करने के लिए रोगी को कुछ दिनों तक उपवास रखना चाहिए|
उपवास के दौरान उसे तरबूज गाजर संतरा लौकी आदि का रस अधिक मात्रा में पीना चाहिए|
इसके बाद रोगी को 6 सप्ताह तक फलों का रस पीना चाहिए
और अधिक मात्रा में अंगूर सेब नाशपाती अनन्नास तथा आंवला का अधिक मात्रा में सेवन करना चाहिए|
जिससे फल स्वरुप यह रोग ठीक हो जाता है|
पित्ताशय गुर्दे और मूत्र संस्थान में होने वाली पथरी को ठीक करने में पाक
जामुन बथुआ मेथी चौलाई धनिया पुदीना के पत्तों का साग बहुत लाभकारी रहता है|
पालक के रस में शहद मिलाकर प्रतिदिन पीने से कुछ ही दिनों में
पित्ताशय गुर्दे और मूत्र संस्थान में होने वाली पथरी ठीक हो जाती है|
गाजर एवं चुकंदर का रस प्रतिदिन दिन में 3 4 बार पीने से पित्ताशय गुर्दे और मूत्र संस्थान में होने वाली पथरी ठीक हो जाती है|
पित्ताशय गुर्दे और मूत्र संस्थान में होने वाली पथरी को ठीक करने के लिए सब्जियों का रस पीना लाभकारी रहता है|
पित्ताशय गुर्दे और मूत्र संस्थान में होने वाली पथरी से पीड़ित रोगी को प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ मलाई दूध पनीर घी आदि
वसायुक्त पदार्थ का तथा मांसाहार पदार्थ का सेवन भी नहीं करना चाहिए|
लगभग 7 8 ग्राम पपीते की जड़ को अच्छी तरह धोकर पानी के साथ पीसकर और कपड़े से छानकर सुबह के समय में खाली पेट 3 सप्ताह तक पीना चाहिए|
जिसके परिणाम स्वरुप पित्ताशय की पथरी गल कर निकल जाती है और रोगी को का यह रोग ठीक हो जाता है|
कुलथी की दाल को सुबह के समय में पानी में भिगोकर रख दें तथा शाम के समय में इस पानी में पीसकर उस पानी में पी ले|
इस प्रकार से प्रतिदिन प्रयोग करने से कुछ ही दिनों में हर प्रकार की पथरी गल कर शरीर से बाहर हो जाती है|
पित्ताशय गुर्दे और मूत्र संस्थान में होने वाली पथरी को ठीक करने के लिए रोगी व्यक्ति को पेट पर मिट्टी की पट्टी करनी चाहिए|
फिर इसके बाद एनिमा क्रिया करके अपने पेट को साफ करना चाहिए|
फिर पेट को गर्म ठंडी सिकाई करनी चाहिए और रोगी को कटिस्नान भापपूर्ण गम पादस्नान मेहल स्नान करना चाहिए| फिर
इसके बाद रोगी को अपने शरीर पर कुछ मिनट के लिए गीली चादर लपेटनी चाहिए|
और अपने शरीर को सूखे कपड़े से पहुंचना चाहिए|
रोगी को अपने रीढ की हड्डी तथा गर्दन के पास मालिश करनी चाहिए|
इस प्रकार से प्रतिदिन यह प्रयोग करने से रोगी की पथरी संबंधित सभी रोग जल्दी ही ठीक हो जाते हैं|
पित्ताशय गुर्दे और मूत्र संस्थान में होने वाली पथरी को ठीक करने के लिए रोग को सूर्य तप्त सफेद बोतल का जल प्रतिदिन पीना चाहिए|
ताकि शरीर में विटामिन डी सही मात्रा में मिल सके जो की कैल्शियम को हजम करता है पथरी को दूर करता है|
पित्ताशय गुर्दे और मूत्र संस्थान में होने वाली पथरी को ठीक करने के लिए कई प्रकार के आसन हैं जिन्हें करने से यह ठीक हो जाती है|
यह आसन इस प्रकार हैं:-
हलासन धनुरासन योग मुद्रासन. भुजंगासन शलभासन पश्चिमोत्तानासन सर्वांगासन तथा प्राणायाम आदि
पित्ताशय गुर्दे और मूत्र संस्थान में होने वाली पथरी से पीड़ित रोगी के पेट या मूत्र संस्थान या गुर्दे में दर्द होने लगे तो|
उसे दूर करने के लिए गर्म पानी के टब में बैठ जाए तथा जब पानी ठंडा हो जाए तो उसमें फिर से थोड़ा गर्म पानी डालकर बैठ जाए|
यदि गर्म पानी के टब में बैठना मुश्किल हो तो गर्म पानी से भीगा हुआ तो लिया अपने पेट पर रख रखे
तथा तौलिए को गर्म पानी में भिगोकर बदलते रहना चाहिए|
इस प्रकार से प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करने से पित्ताशय गुर्दे और मोटे संस्थान में होने वाली पथरी जल्दी ही ठीक हो जाती है|
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