भूमिका-
घर से बाहर खेले जाने वाले खेल को आउटडोर खेल या मैदान में खेले जाने वाला खेल कहा जाता है।
जैसे क्रिकेट, बैडमिंटन ,कबड्डी, फुटबॉल, हॉकी इत्यादि इन खेलों को खेलने के लिए कुछ उपकरणों की जरूरत पड़ती है, जैसे क्रिकेट में बैट -बॉल ,बैडमिंटन के लिए रैकेट -चिड़िया, हॉकी के लिए हॉकी स्टिक- बाल की जरूरत पड़ती है।कुछ बच्चें इन्हीं खेलो को खेलते हुए बड़े होने पर अपना व्यवसाय बना लेते हैं और कठोर परिश्रम करते हुए टूर्नामेंट को जीत कर बहुत पैसा और नाम कमाते हैं और देश का भी नाम रोशन करते हैं। यहां हम इसी परिपेक्ष में चर्चा करेंगे।
खेल हमारे जीवन का महत्वपूर्ण अंग है, इससे न सिर्फ हमारा शारीरिक और मानसिक विकास होता है बल्कि सर्वांगीण विकास होता है । याद कीजिए बचपन में कहां जाता था कि “खेलोगे कूदोगे होगे खराब ,पढोगे लिखोगे बनोगे नवाब”
लेकिन यह कहावतआज पूरी
तरह से चरितार्थ नहीं है बल्कि आज तो खेलो इंडिया यूथ गेम का स्लोगन है कि”खेलोगे कूदोगे बनोगे लाजवाब”
जिसने खेल जगत में बहुत बड़ी क्रांति ला दी ।
देखा जाए तो खेलों के मुख्यतः दो प्रकार होते हैं, एक इंडोर गेम्स और दूसरा आउटडोर गेम्स।
देखा जाए तो आज के समय में, मोबाइल ,टीवी ,कंप्यूटर ,इंटरनेट के कारण बच्चें आउटडोर गेम्स से दूर होते जा रहे हैं यह समस्या महानगरों में तो थी ही गांव में भी देखी जा रही है जिसका सीधा दुष्प्रभाव बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर पड़ता है।
बच्चों के बाहर न खेलने के कारण में ,उनका स्कूल, होमवर्क, व ट्यूशन का बर्डन भी शामिल है। आउटडोर गेम्स में पकड़म- पकड़ाई ,छुपम -छुपाई, क्रिकेट, बैडमिंटन, टेबल टेनिस ,कबड्डी, खो खो, बास्केटबॉल ,फुटबॉल, वॉलीबॉल ,टेबल टेनिस, गुल्ली-डंडा ,पिट्ठू इन खेलों को खेलने से बच्चे चुस्त -दुरुस्त और फिट रहते हैं,ये खेल शारीरिक रूप से सुदृढ़ बनाते हैं इससे शारीरिक ताकत और मानसिक ताकत दोनों का विकास होता है। वहीं इंडोर गेम्स की अपेक्षा आउटडोर गेम्स में व्यक्ति का शारीरिक रूप से सक्षम होना ज्यादा आवश्यक है और ज्यादातर ख्याति आउटडोर गेम से ही प्राप्त की जा रही है। आउटडोर हर आयु वर्ग का व्यक्ति नहीं खेल सकता ,न ही बहुत छोटा बच्चा और न ही ज्यादा उम्र दराज लोग ,आउटडोर गेम के लिए उपयुक्त नहीं माने जाते हैं।
जरूरी नहीं की आउटडोर गेम्स के लिए बच्चों को कहीं दूर भेजा जाए बल्कि माता-पिता अपने बच्चों के साथ आउटडोर गेम खेल सकते है। और यह गेम घर के आसपास भी खेला जा सकता है। घर के आसपास खेलने से आपका बच्चा सुरक्षित भी रहेगा और माता-पिता अपने बच्चों का ध्यान भी रख सकते हैं । आउटडोर गेम्स के जरिए आप अपने दोस्तों से रोज मिल सकते हैं और आपको कुछ नईं बातें भी सीखने को मिलेगी। इन खेलों के जरिए बच्चों के अंदर अनुशासन, संयम ,समय का सदुपयोग ,नेतृत्व क्षमता, का विकास होता है।
संक्षेप में –
आउटडोर गेम खेलने से बच्चों का शारीरिक व मानसिक विकास दोनों होता है। इससे आप ना सिर्फ पूरे दिन स्फूर्ति और ऊर्जा से भरे रहते हैं बल्कि आप अपने दैनिक जीवन के कार्य भी बड़ी प्रसन्नता से कर पाएंगे।
आउटडोर गेम से बच्चों का
आत्मविश्वास भी बढता है । बच्चें बाहरी दुनिया से भी रूबरू होते हैं। आउटडोर गेम फिट रखने में मददगार तो हैं हीं साथ ही बीमारियों से भी बचाते हैं । आउटडोर गेम के जरिए आप यह जान पाएंगे कि आपको किस खेल में अधिक रुचि है और आप किस खेल में कितना एक्सपर्ट हो, और किन चीजों में बाकी बच्चों से अलग हो और बेस्ट कर सकते हो। आउटडोर गेम से बच्चों को आसपास की दूसरी चीजों के बारे में भी जानने को, सीखने को मिलता है । अतः हमें बच्चों को खेल के लिए विशेष कर आउटडोर गेम के लिए अवश्यक प्रोत्साहित करना चाहिए।
