खेल के द्वारा ही बच्चों का शारीरिक विकास होता है जीवन के सफल यापन में शारीरिक विकास का महत्वपूर्ण योगदान है।

खेल के द्वारा ही बच्चों का शारीरिक विकास होता है

खेल के द्वारा ही बच्चों का शारीरिक विकास होता है जीवन के सफल यापन में शारीरिक विकास का महत्वपूर्ण योगदान है। खेल खेलने से बच्चों का हड्डी मजबूत होता है। और मांसपेशियां मजबूत व सुडौल बनती है। इसे खेल खेलने से बच्चे के फेफड़े और हृदय के कार्य करने की क्षमता बढ़ती है। प्लेटो जैसे महान दार्शनिक ने कहा भी है कि हमारे जीवन की अधिकांश विपत्तियों का कारण हमारा दुर्बल शरीर होता है। इसलिए प्रत्येक बच्चों के माता-पिता का कर्तव्य बनता है कि वह अपने बच्चों को किसी न किसी प्रकार के खेल में उनको लगे जिससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास हो सके।
खेल खेलने से बच्चों में आत्मविश्वास का विकास होता है बच्चे को कई तरह की कठिनाइयों से जूझना पड़ता है। इसके लिए उसमें आत्मविश्वास का होना अत्यंत आवश्यक है। खेल के माध्यम से बच्चे प्रतियोगिता के दौरान विभिन्न परिस्थितियों व संकटों का मुकाबला दृढ़ता से करते हैं जिससे उनमें आत्मविश्वास जागृत होता है जिससे उसे अपने जीवन में भी संकटों से जूझने की प्रेरणा मिलती है। विभिन्न प्रकार के खेल, क्रीड़ा में भाग लेने से बालक क्रियाओ के हर पहलुओं पर चिंतन करने के लिए उत्प्रेरित होता है । जो उसके बौद्धिक विकास में सहायक होते हैं।
खेल से बच्चों में आत्म- अनुशासन बढ़ता है। वह स्वच्छंदता पर नियंत्रण होता है। इससे बच्चों के ईर्ष्या,हिंसात्मक व्यवहार ,घृणा गंदी प्रतिस्पर्धा आदि चारित्रिक विकारों के नियंत्रण में सहायता मिलती है।वह बालक मानवता को अपनाकर अ मान्वीता को त्याग देता है। पूरे दिन बच्चे स्कूल में जाकर पढ़ाई लिखाई करने से बच्चे थक जाते हैं।उनमें नई शक्ति का संचार करने के लिए खेल से बढ़कर कोई दूसरा विकल्प नहीं। खेल खेलने से उनमें मनोरंजनातमकता का विकास होता है। खेल खेलने से बच्चे अपने खाली समय का सदुपयोग करते है।
खेल से बच्चे में सांस्कृतिक विकास होता है। महाकाव्य काल में जो खेल खेले जाते थे, वह आज भी खेले जाते हैं जैसे तीर धनुष ,भला फेंकना या फिर ताश खेलना । आजकल बच्चों में अवसाद का होना आम बात है। खेल बच्चों में अवसाद को ना कि काम करता है बल्कि खत्म ही कर दे रहा है, जिस प्रकार प्रेशर कुकर
से अतिरिक्त भाव सिटी के रास्ते बाहर निकल जाता है उसी प्रकार से खेल के द्वारा बच्चो के मस्तिष्क से तनाव और अवसाद बाहर निकल जाते है।
निष्कर्ष- खेल के द्वारा बच्चों का चतुर्मुखी विकास होता है। खेल के द्वारा वह अपने भविष्य को उज्ज्वल बना सकते हैं।अपने करियर का निर्माण कर सकते हैं विभिन्न पदों पर नियुक्ति पा सकते हैं। देश विदेश में अपना और अपने देश का नाम रोशन कर सकते हैं।