“बुद्धि”

"बुद्धि"

भूमिका_प्राचीन काल से ही बुद्धि ज्ञानात्मक क्रियाओं में चर्चा का विषय रहा है। कहा जाता है कि, ‘बुद्धिर्यस्य बलं तस्य’ अर्थात जिसमें बुद्धि है वही बलवान है।बुद्धि एक योग्यता नहीं, बल्कि विभिन्न मानसिक योग्यताओं का समुच्चय है।यह योग्यता यद्यपि वंशानुक्रम पर आधारित होती है, परंतु इसके विकास के लिए उपयुक्त वातावरण की आवश्यकता होती है ।बुद्धि शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग फ्रांसिस गाल्टन ने किया और बुद्धि का सर्वप्रथम वैज्ञानिक मापन अल्फ्रेड बीने द्वारा किया गया इसी कारण बुद्धि मापन और बुद्धि परीक्षण का जनक अल्फ्रेड बीने को कहा जाता है।अतः हमारी आज की चर्चा इसी परिप्रेक्ष्य में होने वाली है-

बुद्धि वह मानसिक शक्ति है जो वस्तुओं एवं तथ्यों को समझने, उनमें आपसी संबंध खोजने तथा तर्कपूर्ण ज्ञान प्राप्त करने में सहायक होती है। यह भावना और अंत: प्रज्ञा( इनट्यूशन) से अलग है।बुद्धि ही मनुष्य को नवीन परिस्थितियों को ठीक से समझने और उसके साथ अनुकूलित होने में सहायता करती है। बुद्धि को सूचना के प्रसंस्करण की योग्यता की तरह भी समझा जा सकता है।बुद्धि के कारण ही मानव अन्य प्राणियों से श्रेष्ठ माना जाता है। मनोविज्ञान के क्षेत्र में भी बुद्धि चर्चा का विषय रहा है। हजारों वर्ष पूर्व से ही व्यक्तियों को बुद्धि के आधार पर अलग-अलग वर्गों में बांटा गया। कुछ व्यक्ति बुद्धिमान कहलाते हैं, कुछ कम बुद्धि के, कुछ मूढ बुद्धि के ,तो कुछ जड़ बुद्धि कहलाते हैं परंतु बुद्धि के स्वरूप को समझना बड़ा कठिन है। बैलार्ड ने बुद्धि की प्रकृति के विषय में एक रोचक परिभाषा दी है “अध्यापक बुद्धि बनाना चाहता है ‘मनोवैज्ञानिक बुद्धि का मापन करना चाहता है ,परंतु यह कोई नहीं जानता की बुद्धि है क्या?”

फ्रीमैन ने अपनी पुस्तक ‘थिअरी एंड प्रैक्टिस ऑफ़ साइकोलॉजिकल टेस्टिंग’ में बताया है कि”बुद्धि समायोजन करने की योग्यता है जिसके अंतर्गत वे बताते हैं कि’ बुद्धि कार्य करने की एक विधि है,यदि व्यक्ति ने अपने वातावरण से सामंजस्य करना सीख लिया है या सीख सकता है तो उसमें बुद्धि है। बुद्धि जीवन की नवीन समस्याओं तथा परिस्थितियों के अनुसार अनुकूलन करना है। बुद्धि सीखने की योग्यता है, बुद्धि ज्ञान को अर्जन करने की क्षमता है। बुद्धि, सीखने या अनुभव से लाभ उठाने की क्षमता है। बुद्धि अमूर्त चिंतन करने की योग्यता है।

अब हम यहां बुद्धि के प्रकार की चर्चा करने वाले हैं,
थार्नडाइक ने बुद्धि को कई प्रकार की शक्तियों का समूह कहा और स्पष्ट किया की “वास्तविकता के अनुसार अपेक्षित प्रतिक्रिया की योग्यता ही बुद्धि है।” उन्होंने बुद्धि के निम्न तीन प्रकार बताएं हैं-

पहला_मूर्त बुद्धि: (मैकेनिकल इंटेलिजेंस)मूर्ति बुद्धि को यांत्रिक बुद्धि भी कहा जाता है यह बुद्धि यंत्रों और मशीनों के साथ अनुकूलन करने की योग्यता है। जिस व्यक्ति में यह बुद्धि होती है वह एक कुशल कारीगर ,मिस्त्री, चालक या इंजीनियर बन सकता है। यांत्रिक बुद्धि वाला बालक अपनी बाइसिकल ठीक करने, घड़ी को स्वयं बना लेने और यांत्रिक औजारों के प्रयोग में रुचि लेता है। यांत्रिक बुद्धि वाले लोग यंत्रों तथा मशीनों की छोटी-मोटी गड़बड़ी को स्वयं ठीक कर पाने में सक्षम होते हैं।

दूसरा अमूर्त बुद्धि ( एब्स्ट्रेक्ट इंटेलिजेंस):-अमूर्त बुद्धि शाब्दिक चिन्हों, अंको या अन्य प्रतीकों को समझने का प्रयोग करने की योग्यता है। इस बुद्धि की सहायता से व्यक्ति ज्ञान प्राप्त करता है तथा पढ़ने- लिखने ,शब्दों व प्रतीकों के प्रति प्रभावशाली व्यवहार के रूप में आने वाली समस्याओं को हल करने की क्षमता रखता है। ऐसा बालक विद्यालय के वातावरण में अधिक ज्ञान प्राप्त करता है।

तीसरा सामाजिक बुद्धि:-मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है।जीवन के युद्ध में सफलता प्राप्त करने के लिए व्यक्ति में सामाजिक बुद्धि का होना अति आवश्यक है। सामाजिक बुद्धि से तात्पर्य व्यक्ति में निहित योग्यता से है जिसकी सहायता से वह अपने आप को समाज के अनुकूल व्यवस्थित करने में सफल होता है। दूसरे व्यक्तियों के साथ प्रभावपूर्ण व्यवहार करने की क्षमता, मिलजुल कर रहने, विकास कार्यों में भाग लेने तथा सामाजिक कार्यों में भाग लेने की योग्यता सामाजिक बुद्धि है।अध्यापक, व्यवसायी, सामाजिक कार्यकर्ता, और नेताओं में सामाजिक बुद्धि अधिक पाई जाती है।

यहां हम बताते चलते हैं कि विभिन्न मनोवैज्ञानिकों द्वारा बुद्धि के विभिन्न सिद्धांत भी दिए गए हैं जो निम्नलिखित प्रकार के हैं-

जैसे बुद्धि का एक कारक सिद्धांत:- जिसे बीनेट ने दिया जिसके अंतर्गत बताया गया है कि बुद्धि विभाजित न की जा सकने वाली एक इकाई है, यह एक सर्व शक्तिशाली मानसिक प्रक्रिया है जो व्यक्ति के समस्त मानसिक कार्यों का संचालन करती है।

बुद्धि का व्दि -कारक सिद्धांत: इस सिद्धांत के प्रतिपादक स्पीयरमैन है। उनके अनुसार बुद्धि में दो कारक है अथवा सभी प्रकार के मानसिक कार्य में दो प्रकार की मानसिक योग्यताओं की आवश्यकता होती है_ प्रथम सामान्य मानसिक योग्यता ,दूसरा विशिष्ट मानसिक योग्यता।

बुद्धि का बहु कारक सिद्धांत :-इसके प्रतिपादन थार्नडाइक हैं।इस सिद्धांत के अनुसार,बुद्धि विभिन्न कारकों का मिश्रण है जिसमें कई योग्यताएं निहित है।उनके अनुसार बुद्धि में उतनी ही शक्तियां या कारक सम्मिलित होते हैं जितनी की एक व्यक्ति प्रक्रियाएं संपादित करता है।

बुद्धि का समूह कारक सिद्धांत इसके प्रतिपादन थस्टन है ।इस सिद्धांत के अनुसार,बुद्धि का निर्माण प्राथमिक मानसिक योग्यताओं द्वारा होता है।

संक्षेप में_
हम कह सकते हैं कि बुद्धि व्यक्ति की सामान्य मानसिक योग्यता है। यह योग्यता उसके कार्यों को प्रभावित करती है। इस योग्यता की सहायता से व्यक्ति नवीन परिस्थितियों का सामना करता है। वास्तव में बुद्धि न केवल समायोजन करने की योग्यता ही है ,अपितु इसमें दूसरी योग्यताएं भी शामिल है।