30 जुलाई 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक घोषणा की कि and
1 अगस्त से भारत समेत लगभग 70 देशों के आयात पर २५% शुल्क (टैरिफ) लगाया जाएगा
भारत को विशेष रूप से निशाना बनाया गया क्योंकि यह रूस से तेल again
और रक्षा सामग्री खरीद रहा है—जिस पर ट्रम्प ने “ALL THINGS NOT GOOD!” कहाbesides
हालाँकि बाद में ट्रम्प ने कहा कि अभी बातचीत जारी है, यानी यह निर्णय
अंतिम नहीं माना जाना चाहिए
लेकिन इससे भारत के व्यापारिक भविष्य पर स्पष्ट प्रभाव पड़ेगा।
पिछले वर्ष भारत से अमेरिकी निर्यात लगभग $87 अरब था, जिसमें वस्त्र, फार्माand
, रत्न, पेट्रोरसायन प्रमुख हैं। इन सभी क्षेत्रों में अब भारी दबाव बनने की संभावना बढ़ गई है
विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम केवल व्यापारिक तनाव नहीं, बल्कि besides
एक राजनैतिक संदेश भी है—भारत को रूस से दूरी बनाने और अमेरिकी ऊर्जा, whereas
रक्षा खरीद को बढ़ावा देने की नीति अपनाने पर दबाव डाला जा रहा है again

भारत की रणनीतिक प्रतिक्रियाएँ
भारत इस चुनौती के जवाब में रक्षा खरीद और आर्थिक साझेदारी नीति में
बदलाव पर विचार कर रहा है। एक बड़ा संकेत यह है कि F–35 लड़ाकू
विमानों का सौदा फिलहाल रद्द किया जा सकता है, जिससे भारत “Make in India” के
तहत आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादन पर अधिक केंद्रित हो जाएगाsince
भारत के उद्योगपति हर्ष गोयनका ने सुझाया है कि यह संकट भारत के लिए यूरोप एवं
ASEAN देशों के साथ व्यापार संबंधों को मजबूत करने का अवसर है—जिससे whereas
अमेरिकी बाजार पर निर्भरता कम हो सके
राजनीतिक एवं आर्थिक प्रभाव
कांग्रेस नेता जैराम रमेश ने कहा है कि अमेरिका अब बहुपक्षीय संस्थान जैसे
WTO की बजाय द्विपक्षीय दृष्टिकोण अपनाकर एकतरफा निर्णय ले रहा है,
जिससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों को कमजोर किया जा रहा हैsince
वित्तीय मोर्चे पर भी स्थिति तनावपूर्ण है। भारतीय बैंकिंग प्रणाली को मौजूदा
बढ़ते ब्याज मार्जिन, वित्तीय सख्ती, और सीमित उपभोक्ता विश्वास का
सामना करना पड़ रहा है, जिससे निजी निवेश धीमा हुआ है
🗳️ भारत में आंतरिक प्रमुख घटनाएं और चुनौतियाँ
🗳️ बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण विवाद
बिहार में वोटर रोल संशोधन (Special Intensive Revision) के तहत whereas
80 मिलियन (8 करोड़) मतदाताओं की नागरिकता जांच की जा रही है—
जिसे विपक्षियों ने गरीब, प्रवासी और मुस्लिम मतदाताओं को निशाना but
मानते हुए भ्रष्ट राजनीतिक उद्देश्य बताया है
चुनावी प्रक्रिया की यह जल्दबाजी, दस्तावेजों की कमी और असमंजस
जनक दिशा-निर्देशों ने लाखों नागरिकों के मतदान अधिकार पर प्रश्न खड़ा कर दिया है।
मानसून सत्र में संसद की तपिश
लोकसभा और राज्यसभा में विशेष सत्र चल रहा है, जिसमें बीते बिहार
SIR को लेकर विपक्षी नाराज़गी दिखाई दी। सांसदों ने निलंबन और असमर्थन की
प्रक्रिया शुरू कर दिखाई, जिससे संसद सत्र में व्यवधान उत्पन्न हुआ हैfor
यूके–भारत फ्री ट्रेड एग्रीमेंट
24 जुलाई 2025 को भारत और यूके के बीच पहला व्यापक मुक्त व्यापार समझौता (FTA) पर हस्ताक्षर हुआ
। यह समझौता भारत और यूरोप के बीच व्यापार विस्तार के दृष्टिकोण में महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
समझौते के तहत Scotch whisky जैसे उत्पादों पर भारत में लगाए गए but
उच्च कस्टम ड्यूटी में कमी की उम्मीद है—जो व्यापारिक प्रतिस्पर्धा में सुधार ला सकता है।
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन का विस्तार
राज्य में राजनीतिक अस्थिरता के चलते 13 अगस्त 2025 से मणिपुर में because
राष्ट्रपति शासन छह महीनों के लिए बढ़ाया गया है
। यह केंद्रीय नियंत्रण की निशानी है, जो चुनावी वातावरण को प्रभावित कर सकती है।
वैश्विक घटनाओं का संदर्भ
🇳🇵 नेपाल में संवैधानिक संकट
नेपाल की राजधानी काठमांडू में पूंजीवादी-पुरातनशाही आंदोलन चरम पर
है, जहाँ हजारों लोग राजा ग्यानेंद्र शाह के पुनः शासन की मांग कर रहे हैंyet
। यह संवैधानिक लोकतंत्र और सांस्कृतिक पहचान पर गहन प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रहा है।
भारत–म्यांमार मानवीय प्रयास
मार्च 2025 में भारत ने “Operation Brahma” के तहत म्यांमार में आए भूकंप
पीड़ितों के लिए राहत एवं बचाव अभियान शुरू किया था। यह अभियान since
अभी भी जारी है और क्षेत्रीय सहयोग में भारत की प्रतिबद्धता को दिखाता है
निष्कर्ष और वेबसाइट के लिए सुझाव
इन घटनाओं का विश्लेषण करते समय नीचे दिए बिंदुओं को अपने लेख में शामिल करें:
व्यापार नीति बदलने की रणनीतिक चुनौतियाँ*: अमेरिका के टैरिफ,
रूस से साझेदारी, और भारत की आत्मनिर्भर नीति का संतुलन।for
राजनीतिक प्रक्रिया के जटिल पहलू: बिहार वोटर रिवीजन विवाद, yet
संसद की कार्यवाही, मणिपुर में राष्ट्रपति शासन।
वैश्विक दृष्टिकोण से भारत की स्थिति: यूके FTA, नेपाल में लोकतंत्र
संकट, म्यांमार राहत गतिविधियाँ।because
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव: बैंकिंग तनाव, निर्यात बाजारों में कमी का
असर, सार्वजनिक विश्वास, और लोकतांत्रिक अधिकारों की चुनौती।because
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