छठ पूजा

छठ पूजा से जुड़ी एक महत्वपूर्ण जानकारी लेकर आए हैं। आपको बताना चाहते हैं

कि आज, यानी 6 नवंबर, को छठ पूजा का दूसरा दिन है।

चार दिन तक चलने वाले इस पर्व में दूसरे दिन को “खरना”

के नाम से जाना जाता है। यह दिन छठ पूजा में विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह शुद्धिकरण का दिन होता है,

और इस दिन को उपवास और प्रसाद की तैयारी के लिए समर्पित किया जाता है।

खरना का महत्व और परंपरा

छठ पूजा के दूसरे दिन, खरना का आयोजन होता है, जो कि पूर्ण शुद्धिकरण का प्रतीक माना जाता है।

खरना का अर्थ होता है “शुद्धिकरण”, और इस दिन व्रती महिलाएं (जो व्रत रखती हैं) संपूर्ण दिन उपवास करती हैं।

इस उपवास में पानी की एक बूंद भी नहीं ली जाती, और पूरे दिन व्रती मन, वचन,

और कर्म से पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ छठी मैया की पूजा करती हैं।

खरना के दिन शाम के समय महिलाएं छठी मैया के लिए प्रसाद तैयार करती हैं। at last

इस प्रसाद में सबसे महत्वपूर्ण होता है गुड़ की खीर, जो कि पूरी पवित्रता के साथ मिट्टी के चूल्हे पर बनाई जाती है।

यह खीर विशेष रूप से गुड़ से बनाई जाती है, और इसे छठ पूजा के प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। whereas

प्रसाद को बनाते समय स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है, और इसे बेहद शुद्ध वातावरण में तैयार किया जाता है।

खरना का अनुष्ठान और रीति-रिवाज

खरना का अनुष्ठान शाम को होता है, जब महिलाएं पूरे दिन का उपवास समाप्त करती हैं। even if

इस दौरान प्रसाद के रूप में गुड़ की खीर, रोटी और फल ग्रहण किए जाते हैं।

इस प्रसाद को पहले छठी मैया को अर्पित किया जाता है, फिर व्रती महिलाएं और due to

परिवार के अन्य सदस्य इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।

इस प्रसाद को खाने से पहले घर के सभी सदस्यों को इसे शुद्ध हृदय और मन से स्वीकार करना होता है। also

खरना के दिन विशेष रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है। सबसे पहले घर की सफाई की जाती है

और पूजा स्थल को सजाया जाता है। पूजा स्थल पर दीप जलाए जाते हैं, moreover

जिससे वातावरण पवित्र और सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है। प्रसाद के लिए चूल्हे का विशेष महत्व होता है,

इसलिए इसे भी पूरे पवित्रता के साथ तैयार किया जाता है। in a word

छठ पूजा के चार दिनों का महत्त्व

छठ पूजा चार दिनों का एक दिव्य पर्व है, जिसमें प्रत्येक दिन का अपना अलग महत्व है। as a result

पहला दिन नहाय-खाय के नाम से जाना जाता है, जिसमें व्रती महिलाएं स्नान कर पवित्रता का संकल्प लेती हैं।

दूसरे दिन खरना होता है, जो व्रती के शुद्धिकरण का प्रतीक है। तीसरे दिन संध्या अर्घ्य दिया जाता है, all in all

जब महिलाएं सूर्यास्त के समय पानी में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करती हैं। चौथे और अंतिम दिन उषा अर्घ्य होता है,

जिसमें उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। following

छठ पूजा में हर एक अनुष्ठान, हर एक प्रसाद, और हर एक रिवाज का विशेष महत्व होता है। being that

इस पूजा में प्रकृति, सूर्य और जल का महत्व होता है, और इसका उद्देश्य व्यक्ति को आंतरिक और बाहरी रूप से शुद्ध करना है।

छठ पूजा की परंपराएं हमारे जीवन में अनुशासन, शुद्धता और आत्म-संयम के महत्व को दर्शाती हैं। before

इस पर्व में न केवल धार्मिक आस्था है, बल्कि यह परिवार और समाज के लिए एकता का संदेश भी देता है।

छठ पूजा और सामाजिक एकता

छठ पूजा का पर्व समाज में एकता और भाईचारे का संदेश भी देता है। इस पूजा में सभी लोग मिल-जुलकर तैयारियां करते हैं,

एक-दूसरे की मदद करते हैं, और समाज में सद्भावना को बढ़ावा देते हैं। besides

विभिन्न राज्यों में छठ पूजा के आयोजन से लोग एक-दूसरे की संस्कृति और परंपराओं को समझते हैं indeed

यहां पर आपको बताया गया है की आज के दिन यानी की 6 नवंबर को छठ पूजा का दूसरा दिन खरना मनाया जा रहा है।\

इस दिन महिलाएं सारा दिन व्रत रखती हैं और फिर शाम को गुड़ की खीर खाती है। for example

छठ पूजा का त्यौहार पूरे 4 दिन मनाया जाता है। आप सभी को छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं।

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