ग्लोबल क्लाइमेट चेंज और दक्षिणी-पश्चिमी मॉनसून के देर से विदा होने की वजह से
इस साल दिल्ली-एनसीआर के कुछ इलाकों में विदेशी पक्षी दिखाई नहीं दे रहे हैं। finally
इन पक्षियों का आगमन हर साल सितंबर के अंत या फिर अक्टूबर की शुरुआत में हो जाता था, also
लेकिन इस बार स्थिति थोड़ी अलग है। हालांकि, नवंबर की शुरुआत के साथ ही कुछ विदेशी पक्षियों
के दर्शन यमुना नदी के आस-पास के इलाकों में होने लगे हैं। as a result , in a word , all in all
यमुना नदी 22 किलोमीटर में फैली हुई है
दिल्ली में यमुना नदी लगभग 22 किलोमीटर की लंबाई में फैली हुई है,
और इसके किनारे कई विदेशी पक्षी अपनी यात्रा का पड़ाव बनाते हैं। moreover , given that
हर साल की तरह इन पक्षियों का प्रवास यहां अक्टूबर तक शुरू हो जाता था, लेकिन इस बार इनके आगमन में देरी देखी गई है।
विशेषज्ञों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में असामान्य उतार-चढ़ाव आ रहा है, indeed
जो इन पक्षियों की प्रवासी यात्रा को प्रभावित कर रहा है। यही वजह है even more
कि अब तक दिल्ली-एनसीआर के बहुत से हिस्सों में ये पक्षी नहीं पहुंचे हैं।
यमुना नदी का जल स्तर और उसमें बढ़ता प्रदूषण भी एक प्रमुख कारण है,
जिससे पक्षियों का ठहराव यहां पर कम होता जा रहा है। whereas
यमुना नदी में बढ़ते प्रदूषण के कारण इन पक्षियों के लिए अनुकूल माहौल नहीं बन पा रहा है। at last
फिर भी, कुछ पक्षी जो लंबी यात्रा करके यहां पहुंचते हैं, वे नवंबर की शुरुआत में यमुना किनारे देखे गए हैं।
इनमें मुख्य रूप से साइबेरियन क्रेन, मालार्ड, और कॉमन टील जैसे पक्षी शामिल हैं। for example
ये पक्षी हजारों किलोमीटर का सफर तय कर भारत आते हैं। even that
ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन
ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से पर्यावरण में असंतुलन आ गया है, following
जिसके कारण मॉनसून का समय बदल गया है। इस बार मॉनसून भी अपने निर्धारित समय से अधिक समय तक रुका,
जिससे तापमान और आर्द्रता में बदलाव हुआ। इसका सीधा असर इन प्रवासी पक्षियों की यात्रा पर पड़ा है,
और ये पक्षी अभी तक अपने वार्षिक कार्यक्रम के अनुसार नहीं पहुंच पाए हैं। after all
दिल्ली-एनसीआर में पिछले कुछ वर्षों में प्रदूषण की मात्रा भी बढ़ी है, विशेषकर यमुना नदी के किनारे।
प्रदूषण की वजह से यमुना के पानी में ऑक्सीजन का स्तर घटता जा रहा है, due to
जिससे वहां का पारिस्थितिक संतुलन प्रभावित हो रहा है। पक्षियों के लिए पानी की गुणवत्ता एक अहम भूमिका निभाती है,
और प्रदूषित पानी में वे ज्यादा समय बिताने से कतराते हैं। after that
इसके अलावा, नदी के किनारों पर मानवीय गतिविधियों के बढ़ने से पक्षियों के आराम करने के स्थान भी कम हो गए हैं।
विदेशी पक्षी दिल्ली में आना बंद हो जाएंगे
पर्यावरणविदों का मानना है कि यदि समय रहते जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण के मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया गया,
तो आने वाले समय में ये विदेशी पक्षी दिल्ली-एनसीआर आना ही बंद कर सकते हैं। besides
यमुना नदी को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए विभिन्न स्तरों पर प्रयास किए जा रहे हैं,
लेकिन इन प्रयासों का असर अब तक ज्यादा दिखाई नहीं दे रहा है। before
कई स्वयंसेवी संस्थाएं और सरकार मिलकर यमुना को साफ रखने के लिए अभियान चला रही हैं,
ताकि यहां का पर्यावरण प्रवासी पक्षियों के लिए सुरक्षित और आकर्षक बना रहे। being that
दिल्ली और आसपास के लोग हर साल इन खूबसूरत पक्षियों का इंतजार करते हैं।
ये पक्षी न केवल हमारे पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि जैव विविधता के संतुलन में भी योगदान देते हैं।
इन पक्षियों का आगमन सर्दियों की शुरुआत का संकेत माना जाता है
और इनकी मौजूदगी पर्यावरण के स्वास्थ्य का एक अहम संकेत है।
अतः समय आ गया है कि हम सब मिलकर प्रदूषण को कम करने की दिशा में प्रयास करें
और इन प्रवासी पक्षियों के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण बनाएं।
यमुना नदी और दिल्ली-एनसीआर के अन्य जलाशयों को साफ और प्रदूषण मुक्त रखने के लिए हम सभी को जागरूक
और संकल्पित होना होगा, ताकि हमारे आने वाली पीढ़ियां भी इन खूबसूरत पक्षियों के साथ इस धरती का आनंद उठा सकें।
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