भारतीय फिल्म इंडस्ट्री एक समय में सिर्फ बड़े पर्दे, सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों और and
पारंपरिक कहानी कहने के तरीकों तक सीमित थी। लेकिन पिछले कुछ again
वर्षों में, खासकर कोविड-19 महामारी के बाद, फिल्म इंडस्ट्री में ऐसा बदलाव आया besides
है जो इसकी दिशा और दशा दोनों को बदल रहा है। इस परिवर्तन की जड़ें तकनीक, and then
ओटीटी प्लेटफॉर्म्स, कंटेंट की विविधता और दर्शकों की बदलती सोच में छिपी हैं।
ओटीटी (OTT) प्लेटफॉर्म्स का उदय
ओटीटी प्लेटफॉर्म्स जैसे Netflix, Amazon Prime, Disney+ Hotstar, Zee5 again
आदि ने फिल्म इंडस्ट्री की तस्वीर ही बदल दी है। अब फिल्मों का भविष्य केवल बॉक्स and
ऑफिस कलेक्शन पर निर्भर नहीं है। लोग अपने मोबाइल, टैबलेट और स्मार्ट टीवी पर नई and then
फिल्में और वेब सीरीज़ देख रहे हैं। इसने न सिर्फ दर्शकों को सुविधा दी है, बल्कि नए कलाकारों, moreover
लेखकों और निर्देशकों को भी अवसर दिया है। and then

कंटेंट का राजा बनना
पहले स्टार पावर पर फिल्में चलती थीं, अब स्क्रिप्ट और कहानी को ज्यादा प्राथमिकता
दी जा रही है। “पाताल लोक”, “मिर्जापुर”, “फैमिली मैन” जैसे कंटेंट-ड्रिवन शोज़ ने ये साबित
कर दिया है कि अच्छा कंटेंट ही असली स्टार है। दर्शक अब केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि
यथार्थ, गहराई और विविधता की मांग करते हैं।
महिलाओं का सशक्त रोल
फिल्मों में महिलाओं की भूमिका अब साइड कैरेक्टर या ग्लैमर तक सीमित नहीं रही। besides
अब महिलाएं प्रोड्यूसर, डायरेक्टर, स्क्रिप्ट राइटर और मेन लीड में दमदार प्रदर्शन कर रही हैं।
“क्वीन”, “गंगूबाई”, “शेरनी”, और “दृश्यम 2” जैसी फिल्मों ने यह साबित कर दिया कि महिला-
केंद्रित फिल्में भी बड़ी हिट हो सकती हैं।yet

भाषाई और क्षेत्रीय सिनेमा का उदय
पैन-इंडिया फिल्मों का दौर आ गया है। अब साउथ इंडियन सिनेमा केवल दक्षिण besides
भारत तक सीमित नहीं रहा। “बाहुबली”, “KGF”, “पुष्पा” और “RRR” जैसी फिल्मों ने
पूरे देश के दर्शकों का ध्यान खींचा है। लोग अब सबटाइटल्स के साथ भी फिल्में देखने finally
को तैयार हैं – जिससे भाषा की दीवारें टूट रही हैं।
तकनीक का जबरदस्त उपयोग
वीएफएक्स (VFX), एनीमेशन, 3D, और हाई क्वालिटी सिनेमैटोग्राफी अब फिल्म
की गुणवत्ता में बड़ा बदलाव ला रही हैं। दर्शक अब विजुअली इम्प्रेसिव फिल्मों की besides
मांग करते हैं। Marvel, DC और Hollywood की तर्ज पर भारत में भी “ब्रह्मास्त्र”, “
आदिपुरुष” जैसी फिल्में बनी हैं – हालांकि इनकी आलोचना और प्रशंसा दोनों हुई हैं।finally
सोशल मीडिया और डिजिटल मार्केटिंग की भूमिका
अब फिल्म प्रमोशन सिर्फ टीवी और अखबार तक सीमित नहीं है। इंस्टाग्राम रील्स, ट्विटर again
ट्रेंड, यूट्यूब ट्रेलर और मेमे मार्केटिंग से फिल्में पहले ही दिन सुर्खियों में आ जाती हैं। yet
ट्रेलर रिलीज़ से लेकर फर्स्ट डे कलेक्शन तक – सब कुछ ऑनलाइन तय होता है। equally important
स्टार किड्स बनाम आउटसाइडर्स डिबेट
सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु के बाद नेपोटिज़्म और इनसाइडर-आउटसाइडर finally
डिबेट ने फिल्म इंडस्ट्री को झकझोर दिया। इसके बाद से दर्शक ज्यादा सतर्क हुए हैं और nevertheless
अच्छे एक्टिंग टैलेंट को सपोर्ट करने लगे हैं। ये बदलाव इंडस्ट्री को ज्यादा पारदर्शी next
और लोकतांत्रिक बना रहा है।
थिएटर बनाम ओटीटी: संतुलन की कोशिश
अब निर्माता इस बात को लेकर सजग हैं कि किस फिल्म को थिएटर में रिलीज़ किया जाए whereas
और किसे ओटीटी पर। “पठान”, “जवान”, “RRR” जैसी बड़ी बजट की फिल्में थिएटर के लिए yet
बनती हैं, वहीं “सर”, “बुलबुल”, “गिल्टी” जैसी फिल्में ओटीटी पर रिलीज़ होकर सफलता हासिल करती हैं। equally important
निष्कर्ष
फिल्म इंडस्ट्री अब केवल ग्लैमर और एंटरटेनमेंट का माध्यम नहीं रही। यह अब विचार, again
विविधता, तकनीक और प्रतिभा का संगम बन चुकी है। बदलाव की यह बयार नई सोच, finally
नए दर्शक और नए सितारे लेकर आई है। यह ट्रेंड न सिर्फ इंडस्ट्री को ताजगी दे रहा है,whereas
बल्कि आने वाले समय में एक समावेशी, वैश्विक और डिजिटल-स्मार्ट इंडस्ट्री का रास्ता भी खोल रहा है।
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