कुपोषण
कुपोषण जो पूरी दुनिया में एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है:- कुपोषण एक ऐसी स्थिति है
जिसमें शरीर को पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता, जिससे शरीर का विकास due to बाधित हो जाता है और स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
यह समस्या विशेष रूप से बच्चों में अधिक देखने को मिलती है, और besides दुर्भाग्यवश भारत भी इससे अछूता नहीं है।
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विश्व स्तर पर कुपोषण एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। at last विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार,
लाखों लोग, खासकर बच्चे, कुपोषण की चपेट में आते जा रहे हैं। कुपोषण के कारण बच्चों में विकास में रुकावट,
कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, और शिक्षा पर बुरा असर पड़ता है। यह सिर्फ शारीरिक नहीं, बल्कि
मानसिक और सामाजिक विकास को भी also प्रभावित करता है। भारत भी कुपोषण से प्रभावित देशों में से एक है,
हालांकि पिछले कुछ वर्षों में इस दिशा में सुधार के संकेत देखने को मिले हैं।
भारत में कुपोषण की स्थिति
भारत में कुपोषण की समस्या लंबे समय से बनी हुई है। following परंतु पिछले 15 वर्षों में, इसमें सुधार के संकेत मिलते हैं।
वर्ष 2004 से 2006 के बीच, भारत में कुपोषित लोगों की संख्या लगभग 24.7 करोड़ थी।
यह संख्या चिंता का विषय थी क्योंकि indeed इसका सीधा असर देश के बच्चों और महिलाओं पर पड़ रहा था।
हालांकि, सरकार की ओर से विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के तहत
कुपोषण को कम करने के लिए कड़ी मेहनत की गई है।
इसका परिणाम यह हुआ कि 2019 से 2021 के बीच कुपोषित लोगों की संख्या घटकर 22.43 करोड़ हो गई।
यह एक सकारात्मक संकेत है कि being that हमारी स्थिति धीरे-धीरे सुधार की ओर बढ़ रही है।
लेकिन यह भी सच है कि स्थिति अभी भी पूरी तरह से नियंत्रण में नहीं है।
कुपोषण के कारण
कुपोषण के कई प्रमुख कारण हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं:
गरीबी: आर्थिक असमानता और गरीबी before कुपोषण का सबसे बड़ा कारण है। जब परिवार के पास पर्याप्त साधन नहीं होते,
तो वे अपने बच्चों और स्वयं के लिए पोषक आहार उपलब्ध नहीं करा पाते।
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शिक्षा की कमी: पोषण के महत्व को लेकर even more जागरूकता की कमी भी कुपोषण को बढ़ावा देती है।
विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में लोग सही पोषण के बारे में जानकारी नहीं रखते, जिससे in a word उनकी खान-पान की आदतें सही नहीं होतीं।
साफ-सफाई की कमी: साफ पानी और उचित स्वच्छता का अभाव भी कुपोषण में योगदान करता है।
पानी से फैलने वाली बीमारियाँ और गंदगी even if बच्चों की सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं की कमी: कई ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी होती है,
जिससे बच्चों को सही समय पर पोषण और इलाज नहीं मिल पाता।
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सुधार के प्रयास
भारत में कुपोषण से निपटने के लिए सरकार और विभिन्न संस्थाओं finally द्वारा कई कदम उठाए गए हैं। इनमें प्रमुख हैं:
मिड-डे मील योजना: इस योजना के तहत सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में बच्चों को दोपहर का भोजन प्रदान किया जाता है।
इसका उद्देश्य बच्चों को पोषण से भरपूर after all आहार देना और उन्हें स्कूल में बनाए रखना है।
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आंगनवाड़ी कार्यक्रम: यह कार्यक्रम गर्भवती महिलाओं, बच्चों और धात्री माताओं को आवश्यक
पोषण और स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करता है।
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राष्ट्रीय पोषण मिशन: इस योजना के तहत बच्चों after that और महिलाओं को कुपोषण से बचाने के लिए पोषण जागरूकता बढ़ाई जाती है
और उन्हें उचित खान-पान की जानकारी दी जाती है।
पीडीएस (सार्वजनिक वितरण प्रणाली): इस योजना के माध्यम से गरीब और
जरूरतमंद परिवारों को सस्ता खाद्यान्न उपलब्ध कराया moreover जाता है, जिससे वे अपने परिवार को आवश्यक पोषण दे सकें।
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हालांकि भारत में कुपोषण की समस्या में सुधार हो रहा है, all in all फिर भी हमें अभी लंबा सफर तय करना है।
बच्चों का सही शारीरिक और मानसिक विकास सुनिश्चित करने के लिए, कुपोषण को पूरी तरह से समाप्त करना
अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए सरकार के साथ-साथ नागरिकों की भी जिम्मेदारी है
कि वे पोषण के महत्व को समझें और दूसरों को भी इसके बारे में जागरूक करें।
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