थायराइड वह अंत स्त्रावी ग्रंथि है जो शरीर के दैनिक कार्यकलाप को नियंत्रित करती है
थायराइड की प्राकृतिक चिकित्सा
थायराइड वह अंत स्त्रावी ग्रंथि है जो शरीर के दैनिक कार्यकलाप को नियंत्रित करती है
थायराइड का बढ़ना:- इसमें थायराइड ग्रंथि हार्मोन ज्यादा बनने लगते हैं|
थायराइड का सिकुड़ना:- इसमें थायराइड ग्रंथि हार्मोन कम बनने लगते हैं|
थायराइड रोगों के कारण:-भोजन में आयोडीन की कमी होना या उन लोगों में ज्यादा पाई जाती है
जो केवल पका हुआ भोजन करते हैं एवं. प्राकृतिक भोजन बिल्कुल नहीं करते|
प्राकृतिक भोhttp://थायराइड की प्राकृतिक चिकित्सा जन से शरीर को आवश्यकता अनुसार आयोडीन मिल जाता है|लेकिन पकाने से यह नष्ट हो जाता है|
मासिक एवं भावनात्मक तनाव वंशानुगत गलत आहार बिहार आदि अन्य कारण है|
प्राकृतिक चिकित्सा
पहले 5 दिन रसाहार (नारियल पानी, पत्ता गोभी, गाजर, चुकंदर, अनानास, संतरा, सेब, अंगूर इत्यादि का रस)
उसके बाद तीन दिन तक फल एवं तिल का दूध ले, फिर सामान्य आहार पर आ जाएं
इंग्लिश में पत्तेदार हरी सब्जियां, फल, सलाद, अंकुरित इत्यादि का भरपूर समावेश हो|
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कम से कम एक वर्ष तक भोजन का आधा भाग फल, सलाद एवं अंकुरित आवश्यक है|कमल गट्टा मखाना सिंघाड़ा अनानास लाभदायक है|
मैदा तालि बनी चीजे चाय कॉफी शराब डिब्बा बंद खाद इत्यादि बहुत ही हानिकारक है| उन्हें भूलकर भी ना खाएं|
एक कप पालक के रस एक बड़ा चम्मच शहद एक चौथाई छोटा चम्मच जीरे का चूर्ण मिलाकर रोज रात को सोने से पहले लें|
एक गिलास पानी में दो चम्मच साबुत धनिया रात भर भिगोकर सुबह उसे मसलकर उबाल लें चौथाई पानी रह जाने पर खाली पेट पी लें
प्रतिदिन नमक डालकर गर्म पानी से गरारे करें|
मिट्टी पट्टी एनिमा कंडीशनल इत्यादि से शरीर को विष रहित करना आवश्यक है
गले की गीली पट्टी वह मिट्टी पट्टी करें ठगवत ना आने दे भरपूर विश्राम करें वह पूरी नहीं मिले मानसिक शारीरिक एवं भावनात्मक तनाव से दूर रहे|
अंतः स्त्रावी ग्रंथियां को ठीक करने के लिए. योग मुद्रासन एवं प्राणायाम के समान कोई पद्धति. नहीं है|
स्वसन योग मुद्रा. पवनमुक्तासन मत्स्यासन. सुप्त वज्रासन. ग्रीवा. शक्ति विकासक करें|
उज्जायी एवं भ्रामरी प्राणायाम करें एवं जालंधर बंध लाभकारी है|