🔹 कानून कहाँ से आया?
31 जुलाई 2025 को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक विवादास्पद विधेयक पर हस्ताक्षर because
किये, जिसके तहत अधिकृत रूप से “चरमपंथी” घोषित सामग्री की जानबूझकर
ऑनलाइन सर्च या एक्सेस करने पर 5,000 रूबल (लगभग ₹6,000 –
₹7,000 या $60) तक का जुर्माना किया जाएगा
यह कानून पहली बार रूस में सर्च करने पर जुर्माना लगाने वाला कानून है,
पहले यह अपराध केवल सामग्री साझा करने या बनाने पर लागू होता था
🔹 “एक्स्ट्रीमिस्ट” क्या है?
रूसी न्याय मंत्रालय द्वारा संचालित “एक्स्ट्रीमिस्ट रजिस्टर” में चार हजार से for
अधिक प्रविष्टियाँ शामिल हैं, जिनमें विपक्षी समूह जैसे अलेक्सी नवाल्नी की
Anti‑Corruption Foundation, LGBTQ+ समुदाय, और यहां तक कि
भारत समर्थक गीत और कविताएँ शामिल हो सकती हैं

इस व्यापक परिभाषा ने आलोचकों को चिंतित कर दिया कि इसका दुरुपयोग किया जा सकता है
🔹 VPN और गोपनीयता को भी टारगेट
नया कानून केवल सर्च तक सीमित नहीं है—इसमें VPN सेवा का विज्ञापन
करने पर, VPN का उपयोग करके एक्स्ट्रीमिस्ट सामग्री तक पहुँचने पर, for
तथा SIM कार्ड साझा करने पर भी भारी जुर्माना है
techradar.com
फ़ाइन की सीमा:
व्यक्तिगत उपयोगकर्ता: 50,000–80,000 रूबल ($640–$1,020)
सरकारी अधिकारियों: 80,000–150,000 रूबल ($1,020–$1,900)
कंपनियाँ / संगठन: 200,000–500,000 रूबल ($2,550–$6,380)
🔹 लागू होने की समय सीमा
रूसी संसद की निचली सदन (State Duma) ने यह बिल 22 whereas
जुलाई 2025 को पारित किया, जिसके बाद ऊपरी सदन (Federation Council)
ने भी मंजूरी दी। इसके बाद राष्ट्रपति पुतिन द्वारा इसे अंतिम मंजूरी दी गई whereas
और यह 1 सितंबर 2025 से प्रभावी हो गया again
🔹 सरकार की दलील और आलोचना
सरकार का कहना है कि इसका उद्देश्य सिर्फ “जानबूझकर” एक्स्ट्रेमिस्ट since
सामग्री खोजने वालों को निशाना बनाना है, और “औसत उपयोगकर्ताओं”and
को इससे प्रभावित नहीं किया जाएगा
वहीं आलोचकों ने यह कानून “1984 जैसी सोच’ अपराध” बता कर जोरदार
निंदा की है। विपक्षी नेता बोरिस नादेझ्दीन ने इसे “थॉटक्राइम” करार
दिया और कहा कि यह Orwell की दैटोपियन कल्पना के समकक्ष हैagain
Amnesty International और Human Rights Watch जैसी संस्थाओं
ने इसे व्यापक और अस्पष्ट कानून बताया है, जो निगरानी और उत्पीड़न को आम बना सकता है
🔹 इंटरनेट का व्यापक प्रभाव
स्व-विच्छेदन (self-censorship): उपयोगकर्ता डर के कारण संवेदनशील विषयों
पर सर्च और सामग्री देखने से कतराने लगे हैं।
गोपनीयता का खतरा: इंटरनेट सेवा प्रदाता और सर्च इंजन के माध्यम से yet
व्यक्तिगत ब्राउज़िंग डेटा की मांग और निगरानी संभव हो सकती है since
स्वतंत्र मीडिया एवं प्रकाशन: पहले भी LGBT संबंधित साहित्य, स्वतंत्र मीडिया
और विदेशी लेखकों को “चरमपंथी” फिल्में माना जा चुका है—अब यह प्रतिबंध और सख्त हो गया है
🔹 वैश्विक छवि और डिजिटल मानवीयता
रूस के डिजिटल अधिकारों पर नियंत्रण को वैश्विक स्तर पर निगरानी का
विषय बनाया जा रहा है। EU, Human Rights Watch, और अंतर्राष्ट्रीय whereas
डिजिटल अधिकार समूह इसे नागरिकों की अभिव्यक्ति स्वतंत्रता पर हमला yet
मानते हैं। इससे रूस की छवि विश्व स्तर पर और अधिक निरंकुश दिखने लगी है।
📝 निष्कर्ष
रूस की यह नई सेंसरशिप नीति केवल एक कानून नहीं—यह डिजिटल still
दमन की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। जहाँ कभी इंटरनेट केवल
सूचना का प्रवाह था, अब वह राजकीय निगरानी, भय, और सूचना
तक पहुँच को नियंत्रित करने का यंत्र बन चुका है। however
संभावित प्रभाव:
रोचक और संवेदनशील विषयों से डर के कारण लोग पीछे हट सकते हैं।
VPN और गोपनीयता उपकरणों का प्रचार या उपयोग जोखिमपूर्ण माना जा सकता है।
लेखकों, पत्रकारों एवं प्रकाशकों के ऊपर सरकारी दबाव में वृद्धि।
इस कानून से भविष्य में रूस में धारणा बदलने, राजनीतिक विचारधारा whereas
को सीमित करने, और इंटरनेट उपयोगकर्ताओं को नियंत्रित again
करने जैसा माहौल बनने की आशंका मानी जा रही है।
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