लक्षण:-
पेट में जलन मिचली उल्टी डकार
कारण:-
कब्ज का रहना मानसिक तनाव चिंता तला भुना तेज मसालेदार भोजन|
भूख से अधिक खाना कॉफी चाय मदिरा धूम्रपान तंबाकू गुटका आदि का सेवन चीनी एवं नमक का अधिक उपयोग
उपचार:-
गाजर खीरा पत्ता गोभी लौकी पेठा इत्यादि|
सब्जियों के रस पर साप्ताहिक उपवास करें एवं आवश्यकता अनुसार एक सप्ताह से तीन सप्ताह तक
केवल फल सलाद एवं अंकुरित अन्न खाये चीनी एवं नमक का प्रयोग ना करें|
भोजन अच्छी तरह चबाकर खाएं प्रतिदिन नारियल पानी नींबू शहद का पानी फलों का रस सब्जियों का रस इत्यादि ले|
जिनमें गाजर पत्ता गोभी व गेहूं के जवारे का रस विशेष उपयोगी है|
इलायची का प्रयोग करें ताजे आंवले का रस या आंवले का चूर्ण एवं थोड़ी हल्दी शहद में मिलाकर चाटें
पर्याप्त मात्रा में गुनगुना पानी पिए 5 तुलसी के पत्ते रोज खाएं|
सूर्य किरणों में रखा हुआ आसमानी बोतल का पानी दो-दो घंटे पर पिए भोजन के बाद पेशाब करके वज्रासन में बैठे
प्रत्येक भोजन के पश्चात एक इलायची और एक लोंग खायें|
नित्य एनिमा कुंजल स्नान से पहले सूखा सूखा घर्षण ( सुखे तौलिया से शरीर को रगड़ना) करें|
खुली हवा में लंबी गहरी सांस ले पेट पर मिट्टी पट्टी कटीस्नान पेट पर गर्म ठंडा सेक गर्म पाद स्नान
तथा सप्ताह में एक बार गीली चादर की लपेट लें तथा उपरोक्त कारणों का को दूर करें|
छाती में ज्यादा जलन हो तो तकिया ऊंचा करें|
नोट:-
दूध का प्रयोग ना करें क्योंकि दूध एक बार जलन को शांत कर देता है|
लेकिन दूध को हजम करने के लिए पेट को अधिक तेजाब बनाना पड़ता है दवाइयां द्वारा स्थाई रूप से दबाया गया|
अमतला का रोग बाद में अल्सर बन जाता है तथा नेत्र रोग एवं हृदय रोग का प्रमुख कारण बन जाता है|
योग एवं प्राकृतिक उपचार बनाए जीवन को सरल
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