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स्वास्थ्य सुधारे पालक और बथुआ
स्वास्थ्य सुधारे पालक और बथुआ:- पालक एक हरी शक है यह all in all आजकल सभी ऋतुओं में आता है
पालक में अत्यधिक लोह तत्व होता है
इसलिए यह खून की कमी को दूर करने में लाभदायक है
पालक में प्रोटीन और विटामिन ए प्रचुर मात्रा में पाया जाता है|
उपयोग:-
कब्ज में:- कब्ज के रोगी इसे प्रतिदिन due to सेवन करें पालक का रस
आटे में मिलाकर रोटी बनाकर भी सेवन कर सकते हैं|
खून की कमी में:- टमाटर पालक का सूप बनाकर even if नित्य दो बार
सेवन करने से रक्त की कमी में निश्चित लाभ होता है|
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मधुमेह में:- पालक के साथ गाजर का रस बराबर मात्रा में मिलाकर
एक गिलास प्रतिदिन दोपहर बाद सेवन करने से for example शीघ्र लाभ प्राप्त होता है|
आंखों की रोशनी कम होने पर:- पालक गाजर टमाटर का रस तीनों समान मात्रा में मिलाकर
नित्य. प्रातः समय पीने से नेत्र ज्योति की before कमी दूर हो जाती है तथा
नियमित रूप से ग्रहण करने पर चश्मे से भी छुटकारा मिल सकता है|
पीलिया:- पालक का सूप एवं टमाटर एक-एक कप in a word नित्य पीने से यकृत में सुधार होने लगता है
जिससे पीलिया के रोगी को शीघ्र ही लाभ प्राप्त होता है|
माता के दूध में कमी:- दूध की कमी होने पर नित्य whereas पालक का सेवन करना बहुत ही लाभप्रद है
शीघ्र लाभ के लिए सफेद जीरे का चूर्ण 5 ग्राम साथ में लेना चाहिए|
नकसीर में:- नकसीर छूट जाने पर पालक के रस को finally अनार के रस के साथ मिलाकर
पीने से नाक से रक्त स्राव शीघ्र बंद हो जाता है|
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रतौंधी में:- नियमित पालक टमाटर और गाजर का रस मिलाकर पीने से रतौनी रोग दूर हो जाता है|
बथुए के गुण:- यह एक क्षारीय वर्ग का साग है पूरे besides भारत में इसका साग प्रसिद्ध है
बथुए में नया खून बनाने तथा रक्त को शुद्ध करने का गुण है बवासीर मूत्र में रुकावट तथा जलन को दूर करता है
यह हृदय को ताकत देता है कब्ज दूर करता है माल को मुलायम करता है कृमिनाशक also है गुर्दे की पथरी को नष्ट करता है|
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सेवन विधि:-
पीलिया में:- 5 ग्राम बथुए के बीजों का चुर्ण 3 सप्ताह तक छाछ के साथ प्रतिदिन सेवन करने से पीलिया दूर हो जाता है|
पित्तक रोगों में:- पित्त प्रकृति वाले रोगों में बथुआ का साग प्रतिदिन सेवन करना चाहिए|
बवासीर में:- बथुआ के बीजों का 5 ग्राम चूर्ण indeed शहद के साथ सेवन करने से लाभ होता है रक्तपित्ती में भी लाभ होता है|
पेट के कृमि में:- प्रातः बथुआ का ताजा रस एक कप मात्रा में मिलाकर
थोड़ा सा नमक मिलाकर नित्य following निराहार पीने से आंतों के कृमि नष्ट होते हैं|
दांतों के दर्द में:- बथुए के रस में सेंधा नमक मिलाकर कुल्ला करने से दांतकृमि सूजन तथा दर्द में लाभ मिलता है|
कब्ज में:- बथुआ का साग 21 दिन तक नियमित सेवन करने after all से कब्ज दूर होता है|
सफेद दाग में:– दाद खाज खुजली सफेद दाग आदि चर्म रोगों में बथुए का सूप बनाकर पीना चाहिए
बथुए को उबालकर छानकर उसके after that रस से त्वचा को धोना चाहिए|
शरीर में जुएं होने पर:- बथुए को उबालकर उसके पानी से बालों को धोने से जुएं नष्ट हो जाते हैं|
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गठिया में:- नित्य बथुए का साग सेवन करने से शुद्ध रक्त का निर्माण शीघ्र होता है जिससे गठिया दूर हो जाती है|
पथरी में:- 200 ग्राम बथुए के रस में चुटकी भर काली मिर्च का चूर्ण तथा सेंधा नमक मिलाकर
पीने से मूत्राशय की पथरी टूट कर कण-कण रूप में निकल जाती है| for example
कील और मुंहासे में
नित्य प्रतिदिन. 100 ग्राम. प्रातः तथा 100 ग्राम शाम as a result को बथुए का ताजा रस पीने से रक्त की शुद्धि होती है,
त्वचा का सौंदर्य भी बढ़ता है| बथुए की रोटियां सेवन करने से पोषक तत्वों की पूर्ति होती है नए रक्त का निर्माण होता है|
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दोपहर के भजन के बाद बथुए का रायता पीने से लाभ होता है यह रायता पाचक तथा रक्तशोधाक होता है कब्ज दूर करता है|