दिल्ली में तेज बारिश: एक राहत या नई मुसीबत?

हर साल गर्मियों की तपती धूप से जूझते दिल्लीवासियों के लिए बारिश किसी वरदान से कम नहीं होती।

जैसे ही आसमान में काले बादल घिरते हैं और पहली बूंदें धरती पर गिरती हैं, लोगों के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है।

परंतु, जब यही बारिश तेज गति से और लगातार होती है, तो वह केवल राहत नहीं बल्कि एक नई मुसीबत भी बन जाती है।

दिल्ली में तेज बारिश का असर न सिर्फ मौसम पर पड़ता है, बल्कि जीवन के हर पहलू को प्रभावित करता है।

तेज बारिश के दौरान राजधानी में जलभराव की समस्या सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरती है।

सड़कों पर पानी भरने के कारण यातायात व्यवस्था चरमरा जाती है। घंटों ट्रैफिक जाम में फंसे लोग समय पर अपने गंतव्य तक नहीं पहुंच पाते

। मेट्रो स्टेशन, बस स्टॉप और मुख्य चौराहे भी इससे अछूते नहीं रहते। कई बार तो गाड़ियाँ पानी में बंद हो जाती हैं, WHAT EVER

जिससे हालात और भी बदतर हो जाते हैं।

दिल्ली में पुरानी और जर्जर ड्रेनेज व्यवस्था इस समस्या को और बढ़ा देती है। THERE FOR

बारिश का पानी ठीक से निकल नहीं पाता और कुछ ही घंटों की तेज बारिश पूरे शहर को थाम कर रख देती है।

निचले इलाकों में घरों और दुकानों में पानी घुस जाता है, जिससे लोगों की दैनिक दिनचर्या बुरी तरह प्रभावित होती है।

तेज बारिश स्वास्थ्य पर भी प्रभाव डालती है। पानी जमा होने के कारण मच्छरों के पनपने की संभावना बढ़ जाती है,

जिससे डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियाँ फैलने का खतरा रहता है। AFTER THAT

साथ ही, गंदे पानी में चलना त्वचा संक्रमण और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म देता है।

हालांकि, बारिश के कुछ सकारात्मक पहलू भी हैं। तेज बारिश के कारण प्रदूषण का स्तर घटता है

और हवा साफ होती है। गर्मी से राहत मिलती है और जलस्तर बढ़ता है,

जिससे भविष्य के लिए जल संरक्षण में मदद मिलती है। कई लोग बारिश का आनंद

लेने के लिए चाय और पकौड़ों के साथ मौसम का लुत्फ उठाते हैं। WHAT EVER

सरकार और नगर निगम द्वारा समय-समय पर जलनिकासी और साफ-सफाई के प्रयास किए जाते हैं

, लेकिन ये प्रयास तब तक अधूरे हैं जब तक आम नागरिक भी सहयोग न करें। नालियों में कूड़ा न AFTER THAT

फेंकना, पानी की बर्बादी से बचना और बारिश के मौसम से पहले तैयारियाँ करना जरूरी है।