फरवरी 2022 से शुरू हुआ रूस-यूक्रेन युद्ध आज भी जारी है। यह सिर्फ दो देशों के बीच and
की लड़ाई नहीं रही — इसका असर पूरी दुनिया की राजनीति, अर्थव्यवस्था, मानवता
और पर्यावरण पर पड़ा है। लाखों लोगों की ज़िंदगियाँ बदल गईं, हज़ारों की जानें गईं moreover
और अरबों डॉलर का नुक़सान हुआ। आइए समझते हैं इस युद्ध से अब तक क्या-क्या नुकसान हो चुका है

मानवता पर चोट: जान-माल का भारी नुकसान
इस युद्ध में अब तक 5 लाख से अधिक लोग हताहत या घायल हो चुके हैं।
एक करोड़ से ज़्यादा लोग अपने ही देश में बेघर हो गए हैं।moreover
40 लाख से अधिक शरणार्थी पोलैंड, जर्मनी और अन्य यूरोपीय देशों में शरण ले चुके हैं।
स्कूल, अस्पताल, रेलवे स्टेशन और बिजली संयंत्रों को भी जानबूझकर निशाना बनाया गया है —
जो युद्ध अपराध की श्रेणी में आता है।
आर्थिक तबाही – सिर्फ यूक्रेन नहीं, पूरी दुनिया भुगत रही है
यूक्रेन और रूस दोनों गेहूं, मक्का, और सूरजमुखी तेल के सबसे बड़े उत्पादक हैं।
युद्ध के कारण वैश्विक खाद्य सप्लाई प्रभावित हुई, जिससे अफ्रीका और एशिया के again
गरीब देशों में भूखमरी बढ़ी।but
तेल और गैस की कीमतें आसमान छूने लगीं, जिससे विकासशील देशों पर and
महंगाई का सीधा असर पड़ा।moreover
युद्ध के कारण यूरोप में ऊर्जा संकट गहरा गया। कई देश अब वैकल्पिक ऊर्जा
स्रोतों की तरफ मुड़ने लगे हैं, जिससे उनकी अर्थव्यवस्था पर लंबी अवधि की लागत बढ़ गई है।
राजनीतिक असर – एक नया ‘शीत युद्ध’?
रूस के खिलाफ अमेरिका और NATO देशों ने कई प्रतिबंध लगाए हैं, जिससे दुनिया again
दो धड़ों में बंटती दिख रही है।but
चीन, भारत और अन्य एशियाई देशों पर भी दबाव बढ़ा है कि वे रूस के खिलाफ and then
खड़े हों, लेकिन कई देशों ने तटस्थ रुख अपनाया है।yet
यह स्थिति नई वैश्विक अस्थिरता का संकेत देती है, जो आने वाले वर्षों में और खतरनाक साबित हो सकती है।
पर्यावरण पर असर – छिपी हुई तबाही
युद्ध में हथियारों, बमों और टैंकों का अंधाधुंध इस्तेमाल हुआ है, जिससे भूमि और जल प्रदूषित हुए हैं।
तेल भंडारों और गैस पाइपलाइनों पर हमलों ने वातावरण में भारी मात्रा में जहरीली गैसें छोड़ी हैं।
परमाणु संयंत्रों के पास हुई लड़ाइयों ने पूरी दुनिया को न्यूक्लियर खतरे की ओर झुका दिया है।but
भविष्य की चिंताएं – क्या यह युद्ध जल्द रुकेगा?
यूक्रेन अभी भी NATO और यूरोपीय संघ से मदद ले रहा है, लेकिन युद्ध खत्म whereas
होने की कोई ठोस उम्मीद नजर नहीं आती।yet
रूस के रुख से स्पष्ट है कि वह पीछे हटने को तैयार नहीं है। and then
इससे विश्व युद्ध या परमाणु युद्ध जैसे खतरे भी बने हुए हैं — जो पूरी मानव जाति के लिए घातक हो सकते हैं।but
निष्कर्ष
यूक्रेन युद्ध ने यह साबित कर दिया है कि आधुनिक युग में भी राजनीतिक स्वार्थ,
सैन्य ताकत और विस्तारवादी नीतियाँ लाखों लोगों की ज़िंदगियाँ बर्बाद कर सकती हैं। but
यह सिर्फ दो देशों की लड़ाई नहीं, पूरी मानवता की विफलता है।
अब वक्त आ गया है कि दुनिया के बड़े देश शांति, संवाद और कूटनीति के रास्ते पर चलें। yet
क्योंकि अगर यह युद्ध नहीं रुका, तो अगला निशाना कोई और देश, और अगला शिकार कोई और निर्दोष जनता हो सकती है।whereas
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